टिहरी सीट : भाजपा की कुर्सी दांव पर
देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य की पांचों संसदीय सीटों पर कांग्रेस व भाजपा दोनों ही मुख्य राजनैतिक दलों की पद प्रतिष्ठा पूरी तरह से दांव पर लगी हुई नजर आ रही है। लेकिन महत्वपूर्ण मानी जाने वाली टिहरी संसदीय सीट पर बड़ा घमासान होने तथा भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगती प्रतीत हो रही है। यहां से कांग्रेस ने अपने कददावर लीडर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को उम्मीदवार बनाकर जिस तरह से सियासी दांव खेला है उसने भाजपा की नींद फिलहाल तौर पर उड़ा डाली है। प्रीतम की छवि को जिस तरह से साफ-सुथरा समझा जा रहा है उसे उनकी संभवतः जीत के रूप में भी पार्टी के कार्यकर्ता देख रहे हैं। टिहरी सीट पर राजनैतिक व सियासी गणित पर कुछ नजर डाली जाए तो निर्दलीय प्रत्याशी गोपालमणि कुछ कम प्रसिद्ध संत गुरू नहीं हैं, बल्कि एक संत गुरू का समाज में स्थान रखने वाले गोपाल मणि धार्मिक दृष्टि से अपना खासा प्रभाव टिहरी संसदीय क्षेत्र में रखते हैं। उनके इसी संभावित प्रभाव को देखते हुए ही भाजपा के चेहरे पर चिंता की सिलवटें अभी से देखी जा रही हैं। इस सीट से और भी प्रत्याशी यूं तो चुनाव मैदान में हैं, परन्तु फाईटर पार्टियां कांग्रेस और भाजपा ही हैं। भाजपा की महारानी राज्यलक्ष्मी शाह की वर्ष 2014 के चुनाव में ताजपोशी काफी आसान दिशा में निश्चित रूप से थी, लेकिन इस बार प्रीतम सिंह के सामने होने से भाजपा की कुर्सी खतरे में पहुंचती दिखाई दे रही है। इस चुनाव में जनता अथवा मतदाताओं का रूझान भी बहुत ही सोच विचार करने के बाद वोट देने की कड़ी में रहेगा। फिलहाल, राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा ने टिहरी सीट के लिए पूरा जोर लगाना शुरू कर दिया है और कांग्रेस को चुनाव में पटखनी देने व उस पर पैनी नजर रखना भी प्रारंभ कर दिया। मुख्य बात यह इस क्षेत्र के चुनाव में शायद यह देखने व सुनने को मिल भी सकती है कि भाजपा विकास व जनता को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने व बेरोजगारों को रोजगार दिलाने में पूरी तरह से फेल रही है। इसलिए काफी मतदाताओं का महत्वपूर्ण वोट इस बार कांग्रेस के पिटारे में खिसकने की संभावना है।