स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने दलाई लामा के 86वें जन्मदिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन में दीर्घायु जीवन हेतु विशेष प्रार्थना की
ऋषिकेश, । परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने दलाई लामा के 86वें जन्मदिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन में उनके स्वस्थ और दीर्घायु जीवन हेतु विशेष यज्ञ और प्रार्थना की। स्वामी जी ने दलाई लामा जी को 86 वें जन्मदिवस की शुभकामनायें देते हुये कहा कि दलाई लामा जी ने पूरी दुनिया को प्रेम, करूणा, अहिंसा और शान्ति का संदेश दिया और आज अपने 86 वें जन्म दिवस पर भी उन्होंने अपने वैश्विक परिवार को चेहरे पर मुस्कान और मित्रता का संदेश दिया। करूणा, नैतिकता और स्नेह को आत्मसात कर जीवन जीना ही हम सब की ओर से दलाई लामा के लिये श्रेष्ठ उपहार होगा। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने पूरी दुनिया को प्रेम, करूणा, अहिंसा और शान्ति का संदेश देने वाले परम पावन दलाई लामा जके स्वस्थ और दीर्घायु की कामना करते हुये परमार्थ निकेतन प्रांगण में रूद्राक्ष के पौधे का रोपण किया।इसके अलावा उन्होंने कहा कि ’’आज भारत के लिये गर्व का दिवस है क्योंकि आज एक विधान, एक निशान और एक प्रधान को साकार करने हेतु अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले डाॅ श्यामाप्रसाद मुखर्जी की 120 वीं जयंती है।’’ श्री मुखर्जी ने भारत की एकता, अखंडता और विकास के लिये स्वयं को भारत माता की सेवा में समर्पित कर दिया था, आज उनके जन्म दिवस पर उनकी देशभक्ति, निष्ठा और दृढ़ संकल्प को नमन और भावभीनी श्रद्धाजंलि।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि डाॅ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने अखंड भारत, एक विधान, एक निशान और एक प्रधान का सुन्दर स्वप्न देखा और उसके लिये जीवनपर्यन्त कार्य भी करते रहे। उन्होंने अध्यात्मवाद, मानवतावाद और वैज्ञानिकता के आधार पर देश के विकास पर जोर दिया। उनका मानना था कि मानव सेवा ही ईश्वर की सेवा है। वे चाहते थे कि भारत में ’एक विधान, एक निशान और एक प्रधान हो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे साकार कर अखंड भारत की संकल्पना को मूर्त रूप प्रदान किया। स्वामी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति के अग्रदूत डाॅ श्यामाप्रसाद मुखर्जी के संकल्पों को आगे बढ़ाते हुये भारत के ऊर्जावान व कर्मयोगी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाया, हम सभी भारतवासियों की ओर से श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अखंड भारत की सच्ची श्रद्धाजंलि अर्पित करते हैं।