सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में फैसला दिया
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को एनडीए यानी नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षा में भी बैठने की अनुमति देकर आधी आबादी के हक में एक और फैसला दिया है। पिछले 71 सालों के इतिहास में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बार-बार महिलाओं के अधिकारों की हिमायत की है और ऐसे कई मौके आए हैं, जब सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में फैसले दिए। इतना ही नहीं, सरकार द्वारा लिंग के आधार पर भेदभाव किए जाने पर भी सुप्रीम कोर्ट उनके हक में खड़ा रहा है। तो चलिए जानते हैं कुछ सुप्रीम कोर्ट के उन फैसलों को जो महिलाओं के हक में रहे हैं। पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया और कहा कि पैतृक संपत्ति में बेटी का भी बराबर का हक है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू बेटियों को उसी तरह पारिवारिक संपत्ति के उत्तराधिकारी का दर्जा दिया, जिस तरह से बेटों को पहले से मिलता रहा है। इसने 2005 के कानून का दायरा उन बेटियों तक बढ़ा दिया जिनके पिता कानून लागू होने की तारीख तक जीवित नहीं थे। फैसला विनीता शर्मा बनाम राकेश शर्मा मामले में आया था। दरअसल, कोर्ट ने कहा था कि नौ सितंबर 2005 के बाद से बेटियों के हिंदू अविभाजित परिवार की संपत्तियों में हिस्सा मिलेगा। यहां यह जानना जरूरी है कि इसे लेकर साल 2005 में कानून बना था कि बेटा और बेटी दोनों के पिता की संपत्ति पर बराबर का हक होगा। मगर इसमें यह स्पष्ट नहीं था कि अगर पिता की मृत्यु 2005 से पहले हुई हो तो क्या यह कानून ऐसे परिवार पर लागू होगा या नहीं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला विनीता शर्मा बनाम राकेश शर्मा मामले में आया था।