उत्तराखंड में छात्र तय करेंगे कि गुरुजी पास हुए या फेल
देहरादून : नौनिहालों के भविष्य के सुनहरे ख्वाब संजोकर उन्हें सरकारी विद्यालयों में भेजने वाले अभिभावकों को अब मन मसोसकर नहीं रह जाना होगा। कक्षा एक से आठवीं तक बच्चों को विषयवार कितना सीखना चाहिए और उनके ज्ञान का स्तर क्या है, इसके लिए बकायदा उन्हें भी ब्रोशर के जरिए पाठ्यक्रम की जानकारी दी जाएगी। राज्य सरकार बच्चों के सीखने की परफॉरमेंस को अब शिक्षकों की परफॉरमेंस से जोड़ने जा रही है। यानी सरकारी विद्यालयों में गुरुजी की परफॉरमेंस छात्र तय करने जा रहे हैं।
इसके लिए सरकार निश्शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (आरटीई) नियमावली में संशोधन करने जा रही है। संशोधित नियमावली में छात्र-छात्राओं के लर्निंग आउटकम के लिए शिक्षकों को जवाबदेह बनाने को बकायदा कानूनी शक्ल दी जा रही है।
सरकारी विद्यालयों में कक्षा एक से आठवीं तक शिक्षा की गुणवत्ता पर अंगुली उठती रही हैं। राज्य स्तर पर शिक्षा महकमे की ओर से किए जा रहे सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (सीसीई), अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से लर्निंग लेवल असेसमेंट और राष्ट्रीय स्तर पर ‘प्रथम’ संस्था की ओर से किए गए सर्वेक्षण में कक्षा एक से आठवीं तक बच्चों की पढ़ाई के स्तर की भयावह तस्वीर कई मर्तबा सामने आ चुकी है।
भाषा, गणित और अन्य विषयों में कक्षावार बच्चे न्यूनतम ज्ञान भी हासिल नहीं कर पा रहे हैं। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने भी आरटीई नियमावली में अब कक्षा एक से आठवीं तक लर्निंग इंडीकेटर्स को अब लर्निंग आउटकम से जोडऩे का फरमान राज्यों को सुना दिया है।
केंद्र की तर्ज पर उत्तराखंड राज्य ने भी आरटीई नियमावली में संशोधन की तैयारी कर ली है। संशोधित नियमावली का मसौदा कैबिनेट की अगली बैठक में रखा जाएगा।
लर्निंग आउटकम यानी पढ़ाने के बाद उसका प्रतिफल क्या रहा, इसे नियमावली के जरिए जवाबदेही से जोड़ा जा रहा है। यह हिंदी, अंग्रेजी, गणित, व पर्यावरण अध्ययन समेत तमाम विषयों के लिए लागू होगा। नियमावली में संशोधन के बाद बच्चों के विषयवार न्यूनतम ज्ञान को लेकर शिक्षकों की जवाबदेही तय हो जाएगी।
इसे शिक्षा की गुणवत्ता के लिए अहम कदम माना जा रहा है। खास बात ये है कि पहली बार इस नई व्यवस्था के लिए कक्षा एक से आठवीं तक अभिभावकों के लिए भी ब्रोशर तैयार किए गए हैं। इसमें उन्हें भी पाठ्यक्रम की जानकारी दे बताया गया है कि कक्षावार बच्चे को कितना आना चाहिए।
ऐसे में वह शिक्षकों से बच्चे की परफॉरमेंस को लेकर पूछताछ भी कर सकते हैं। ब्रोशर के चलते मास्साब को भी अभिभावकों को चलताऊ जवाब देना शायद ही मुमकिन हो। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय का कहना है कि नियमावली में संशोधन के बाद सरकारी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नजर आएगा।