पर्यावरण के जरिए हो सकती है राज्य की आर्थिकी मजबूत
देहरादून : राज्य स्थापना दिवस समारोह की शुरुआत में आयोजित रैबार कार्यक्रम के प्रथम विशेष सत्र में वक्ताओं ने उत्तराखंड के दो सशक्त पहलू, पर्यटन एवं पर्यावरण के जरिये प्रदेश की आर्थिकी को मजबूत करने पर जोर दिया। वक्ताओं ने कहा कि पर्यटन, पलायन रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है और पर्यावरण के जरिये प्रदेश की आर्थिकी को मजबूत किया जा सकता है।
प्रथम विशेष सत्र में सबसे पहले सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने ‘उत्तराखंड: पर्यटन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में संभावनाएं’ विषय पर अपना प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार राज्य में पर्यटन को स्थानीय आर्थिकी से जोड़ने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। पर्यावरणविद् डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि सरकार को गांवों के विकास व उत्तराखंड की ब्रांडिंग पर जोर देना होगा। प्रदेश की जीडीपी के साथ ही पर्यावरण संरक्षण पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने सिंचाई के लिए नहरों का जाल मजबूत करने पर जोर दिया। यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल ने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने से पर्यावरण पर प्रभाव पड़ना निश्चित है। अभी प्रदेश का पर्यटन तीर्थ यात्रियों पर ही निर्भर है। प्रदेश में दीर्घकालीन पर्यटन को ध्यान में रखते हुए कार्य करने की जरूरत है। उत्तराखंड की पर्यावरण संवेदनशीलता को देखते हुए इसे हर्बल स्टेट के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। ओएनजीसी के निदेशक मानव संसाधन डीडी मिश्रा ने कहा कि हर वर्ष प्रवासी दिवस का आयोजन किया जाना चाहिए ताकि प्रवासी उत्तराखंडी राज्य के विकास में सहयोग पर विचार विमर्श कर सकें।
लेखिका अद्वैता काला ने सरकार से अपेक्षा की कि राज्य में फिल्मों की शूटिंग को प्रोत्साहित करने के लिए फिल्म नीति में सुधार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि फिल्मों की शूटिंग के लिए अधिक से अधिक अवस्थापना सुविधाओं का विकास किया जाए। डीजीपी अनिल रतूड़ी ने कहा कि राज्य की अच्छी ब्रांडिंग करनी होगी और साथ ही हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री के क्षेत्र में विकास करना होगा। विदेश मंत्रालय में कार्यरत आइएफएस अधिकारी आलोक अमिताभ डिमरी ने विभिन्न क्षेत्रों में अभिनव पहल पर ध्यान देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सीमांत गांवों में विकास व पलायन रोकने पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। सत्र का समापन करते हुए वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि पलायन रोकने और गांवों को फिर से बसाने के लिए कृषि पर ध्यान देने की आवश्यकता है। राज्य में धार्मिक पर्यटन के अलावा भी अपार संभावनाएं हैं। राज्य के विकास के लिए सबको मिलजुल कर प्रयास करने होंगे।