कर्ज के मर्ज से निजात नहीं, सरकार लेगी 300 करोड़
देहरादून : कर्ज के मर्ज से राज्य को निजात नहीं मिल रही है। चालू महीने यानी मौजूदा वित्तीय वर्ष के आठवें महीने में फिर 300 करोड़ का कर्ज लिया जा रहा है। बाजार से लिया जा रहा यह कर्ज आगामी गुरुवार तक सरकारी खजाने में पहुंच जाएगा।
उत्तराखंड सरकार को हर महीने राज्य में कर्मचारियों को वेतन और पेंशनर्स को पेंशन देने पर बड़ी धनराशि खर्च करनी पड़ रही है। खर्च का यह अंतर इतना बढ़ चुका है कि हर महीने होने वाली आमदनी से खर्च को पाटना मुश्किल हो गया है।
राज्य की कुल मासिक आमदनी करीब 1400 करोड़ है, जबकि वेतन-भत्तों-मानदेय देने पर हर महीने करीब 1500 करोड़ का खर्च बैठ रहा है। लिहाजा विकास कार्यों के खर्च के नाम पर सरकार तकरीबन हर महीने ही बाजार से कर्ज उठाने को मजबूर है। बीते माह अक्टूबर में ही 1300 करोड़ कर्ज लेने की नौबत आ गई थी।
इस वजह से चालू माह में शुरुआती दिनों में कर्ज नहीं उठाना पड़ा। लेकिन अब फिर सरकार ने 300 करोड़ कर्ज लेने की राह पर कदम बढ़ा दिए हैं। इसके साथ ही चालू वित्तीय वर्ष में कर्ज का बोझ 3500 करोड़ से बढ़कर 3800 करोड़ पहुंच जाएगा।
सरकार राज्य कर्मचारियों के बाद अब सार्वजनिक निगमों-उपक्रमों के साथ ही जिला पंचायतों और नगर निकायों को सातवां वेतनमान देने का फैसला कर चुकी है। इस फैसले से सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ गया है। नतीजतन सरकार कर्ज लेने मजबूर है। राज्य की इस मजबूरी को देखते हुए रिजर्व बैंक ने भी दिसंबर माह तक कर्ज लेने की सीमा 3800 करोड़ से बढ़ाकर 4800 करोड़ कर दी है।