तिब्बत की आजादी के समर्थन में नारे
देहरादून, । रीजनल तिब्बतन यूथ कांग्रेस डिकलिंग और रीजनल तिब्बन वूमेन्स एसोसिएशन डिकलिंग ने ल्हासा में चीन की ओर से 1987 प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग करने के विरोध में काला दिवस मनाया। तिब्बतियों ने प्रेस क्लब से तिब्बत की आजादी के लिए सांकेतिक रूप से लैंसडौन चौक तक कैंडल मार्च निकाला और तिब्बत की आजादी के समर्थन में नारे लगाए।27 सितंबर 1987 को तिब्बत में हुई इस घटना के विरोध में तिब्बती समुदाय हर साल मार्च निकालता है। सोमवार को इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तिब्बती नागरिकों ने अपने प्रतिष्ठान भी बंद किए थे। चीन की हरकत के बाद तिब्बत समेत दुनियाभर से प्रतिक्रिया सामने आई थी। ल्हासा में शांतिपूर्व प्रदर्शन कर रहे बौद्ध भिक्षु, लामा, स्कूली छात्रों और आम नागरिकों को चीनी सेना ने बलपूर्वक कुचल दिया था। दून में हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन में भारत तिब्बत सहयोग मंच, तिब्बत फ्रेंडस समूह के लोग भी शामिल हुए। इस मौके पर फ्रेंड्स ऑफ तिब्बत अजय शर्मा, तिब्बतन विचारक आछा साम्यकी, शेरिंग तोप्ग्याल, याशी, शेरिंग डोलकर, शेरिंग जिम्पा, तेनजिंग नोरबू, टेन्क्योब लामा, उज्जे शेरिंग लामा आदि शामिल थे।