देश की दिशा और दशा संवारने में संत महापुरूषों की अहम भूमिका रहीः प्रेमचंद अग्रवाल
हरिद्वार। परिवारों में अच्छे संस्कार संत महापुरूषों के आशीर्वाद से ही प्राप्त होते हैं। क्योंकि संत ही गुरू के बताए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देकर अपने शिष्यों और भक्तों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। उक्त उद्गार उत्तराखण्ड के विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल ने श्री जयराम आश्रम में आयोजित तीन दिवसीय शत चण्डी यज्ञ के समापन पर आयोजित विशाल संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हरिद्वार धर्मनगरी की पहचान संतों से ही जानी जाती है। संत समाज लगातार श्रद्धालु भक्तों को धार्मिक गतिविधियों से अवगत कराता है। भक्ति का मार्ग प्रशस्त कर भक्तों का कल्याण करने में संतों की निर्णायक भूमिका है। जयराम आश्रम से देश भर में सेवा के प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। जोकि प्रशंसनीय है। संत सम्मेलन में पहुंचे संत महापुरूषों व श्रद्धालुओं का आभार जताते हुए स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि शिक्षा संस्कार से ही परिवारों का कल्याण होता है। देवभूमि से गंगा निकलती है। वह भक्तों का अवश्य कल्याण करती है। समाजसेवा से ही ईश्वरीय भक्ति प्राप्त की जा सकती है। अपने गुरूओं व अपने माता पिता की सेवा करने से परिवारों में सुख समृद्धि का वास होता है। हमें व्यक्ति कल्याण में हर संभव प्रयास करने की आवश्यकता है। समाज को सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए। किसी के साथ भी दुर्व्यवहार नही करना चाहिए। मृदुभाषा ही व्यक्ति को पहचान दिलाती है। पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। संत समाज सनातन परंपराओं का निर्वहन करने में अपना योगदान देता चला आ रहा है। गुरूओं के आशीर्वाद से ही श्रद्धालु भक्तों का कल्याण होता है। गुरू परंपराओं का निर्वाह ठीक रूप से किया जाना चाहिए। अपने बताए हुए गुरूओं के पदचिन्हों पर चलकर समाजसेवा में जो योगदान स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी दे रहे हैं। वह प्रशंसनीय है। भक्तों का कल्याण करने में गुरूओं की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतना कम है। आदि काल से संत समाज गुरू परम्पराओं का निर्वहन कर रहा है। मण्मण्स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि जयराम आश्रम के अधिष्ठाता मनुष्य कल्याण में हर संभव अपने प्रयास करते चले आ रहे हैं। गौसेवाए भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसारए गरीब असहाय निर्धन परिवारों की मदद करना इनकी अच्छी कार्यशैली को दर्शाता है। देश भर में इनके भक्त प्रेरित होकर मानव सेवा में अपना योगदान कर रहे हैं। सामाजिक दायित्व को निभाने में संतों की भूमिका को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। संत समाज ही समाज का मार्गदर्शक होता है। इस दौरान उपस्थित संत महापुरूषोंए गणमान्य लोगों व श्रद्धालुओं ने स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी को जन्म दिन की बधाई देते हुए उनकी दीघार्यू की कामना की। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिकए पूर्व विधायक अंबरीष कुमार ने भी आश्रम पहुंचकर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी को शॉल ओढ़ाकर व माला पहनाकर जन्म दिवस की बधाई देते हुए मां गंगा से उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। इस अवसर पर निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरीए श्रीमहंत रामरतन गिरीए महंत जसविन्द्र सिंहए महंत कमलजीत सिंहए संत जगजीत सिंहए पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारीए महंत देवानंद सरस्वतीए स्वामी सत्यव्रतानंदए मण्मण्स्वामी प्रबोधानंद गिरीए महंत गंगादास उदासीनए स्वामी ऋषि रामकृष्णए श्रीमहंत विनोद गिरीए स्वामी जगदीशानंदए महंत गंगादास उदासीनए स्वामी हरिवल्लभदास शास्त्रीए महंत कमलदासए स्वामी ऋषिश्वरानंदए महंत मोहनसिंहए महंत तीरथ सिंहए महंत प्रेमदासए स्वामी अरूणदासए लोकशदासए डाण्संजय पालीवालए मेयर अनीता शर्माए धर्मपालए ओपी चौहानए पुरूषोत्तम शर्माए पूर्व पालिका अध्यक्ष प्रदीप चौधरीए पूनम भगतए शुभम अग्रवालए अंजू द्विवेदीए राजेश रस्तोगीए बचन सिंह पोखरियालए जयपाल सिंहए सुनीलए मुदित आदि मौजूद रहे। संत सम्मेलन का संचालन मण्मण्स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने किया।