राज्य में 50 हजार करोड़ की सड़कें, उत्तराखंड से कश्मीर तक केबल कार
देहरादून : आने वाले दो सालों में सड़कों के विकास के लिहाज से उत्तराखंड बिल्कुल बदले स्वरूप में नजर आएगा। केंद्र की मदद से राज्य में 2019 तक ऑल वेदर रोड के साथ ही भारतमाला परियोजना में करीब 50 हजार करोड़ रुपये की लागत से सड़कें बनाई जाएंगी।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने देहरादून में प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट ऑल वेदर रोड परियोजना के साथ ही राजमार्गों की समीक्षा के बाद संवाददाताओं से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतमाला परियोजना में 570 किमी की पांच सड़कों के 9700 करोड़ के प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी गई है। निर्माण एजेंसी को प्रदेश के सीमांत क्षेत्रों को जोड़ने वाली इन सभी सड़कों का निर्माण छह माह में पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने ऑल वेदर रोड समेत अन्य राजमार्गों से जुड़े मसलों को लेकर सक्रियता से कार्य करने पर राज्य सरकार की पीठ थपथपाई। चारधाम को जोडऩे वाली ऑल वेदर रोड परियोजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 900 किमी लंबे इस राजमार्ग पर 400 किमी के प्रोजेक्ट दे दिए गए हैं।
शेष 500 किमी के बारे में भी बैठक में चर्चा हुई और बात निकलकर सामने आई कि इसके बॉटलनेक को दूर करने में राज्य सरकार ने काफी गतिशीलता दिखाई है। मार्च 2019 तक इन सभी कार्यों के टेंडर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह सड़क अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार बनाई जा रही है। सड़कों के एलाइनमेंट, भूस्खलन समेत सभी बिंदुओं पर गंभीरता से कार्य चल रहा है।
एक सवाल पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से सड़कों के 70 प्रोजेक्ट पर 50 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। सभी कार्य 2019 से पहले पूरे होने हैं। इनकी लगातार मॉनीटरिंग केंद्र करेगा। इको सेंसिटिव जोन के प्रावधानों की कठिनाइयों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस मामले में पर्यावरण मंत्रालय से सकारात्मक रुख मिला है। जल्द ही यह हल कर लिया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दिल्ली -शामली-देहरादून को एक्सप्रेस वे के रूप में विकसित करने का कार्य शुरू हो चुका है। छह माह में इसका कार्य पूरा होने पर उत्तराखंड से राजस्थान, पंजाब, हिमाचल, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों को आने-जाने वाले यात्रियों को दिल्ली जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे दिल्ली में प्रदूषण की मार भी नहीं पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि देशभर में जिस हिसाब से सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं, उसे देखते हुए हर तीन साल में एक लेन सड़क बढ़ानी पड़ेगी। इसे देखते हुए उत्तराखंड में सड़कों की लंबाई 96 हजार किमी से बढ़ाकर दो लाख किमी की जा रही है। इन्हें इस तरह से विकसित किया जाएगा कि दुर्घटनाओं पर अंकुश लग सके।
उन्होंने कहा कि राज्य में हवा में चलने वाला ट्रैफिक सिस्टम विकसित करने को केंद्र राज्य जल्द एमओयू साइन करेंगे। इसके अलावा रिवर पोर्ट, वाटर पोर्ट बनाने की भी योजना है। यही नहीं, दिल्ली-देहरादून मार्ग के हरिद्वार-देहरादून हिस्से का कार्य दिसंबर तक पूरा करा दिया जाएगा।
इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा, पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, प्रदेश के राज्यमंत्री धन सिंह रावत, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह मौजूद थे।
उत्तराखंड से कश्मीर तक केबल कार
केंद्र सरकार की कोशिशें रंग लाईं तो उत्तराखंड से हिमाचल और जम्मू-कश्मीर तक हवा में चलने वाले ट्रैफिक सिस्टम से जुड़ जाएंगे। इसके तहत रोपवे, केबल कार के जरिये कनेक्टिविटी होगी। इससे जहां वाहनों के लगातार बढ़ते दबाव से निजात मिलेगी, वहीं प्रदूषण पर भी अंकुश लग सकेगा। साथ ही इससे सैलानियों की आमद और बढ़ेगी। हालांकि, अभी केंद्र सरकार ने मैकेंजी संस्था के जरिये उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में सर्वे कराया है, जिसने ऐसे करीब सौ स्थल चिह्नित किए हैं।
स्विटजरलैंड समेत तमाम देशों में सैलानियों को आकर्षित करने के लिए केबल कार, रोपवे को महत्व दिया जाता है। इसी तर्ज पर केंद्र सरकार भी कदम बढ़ाने जा रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि इस कड़ी में उत्तराखंड के औली सहित अन्य स्थानों और हिमाचल प्रदेश में मैकेंजी संस्था के जरिये सर्वे कराया गया। मैकेंजी ने दोनों राज्यों में ऐसे सौ स्थल चिह्नित किए हैं, जहां रोपवे, केबल कार आदि के जरिए हवा में चलने वाला सिस्टम विकसित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इस कड़ी में उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर को जोड़ने की योजना पर मंथन चल रहा है। यह केंद्र और राज्य सरकारों का संयुक्त उपक्रम होगा और इसके लिए जल्द ही नीति तैयार की जाएगी।