एलएसी से 100 किमी के दायरे में उत्तराखंड को अधिकार
देहरादून : देश के पूर्वी और पश्चिमी सीमा क्षेत्र की भांति केंद्र सरकार उत्तराखंड को भी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) से सौ किलोमीटर के दायरे में वन क्षेत्र से संबंधित विषयों पर निर्णय लेने का अधिकार देने पर विचार कर रही है। केंद्रीय संस्कृति और वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री डॉ.महेश शर्मा ने देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ चर्चा के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस विषय पर शीघ्र ही उत्तराखंड को दिशा-निर्देश भेजे जाएंगे।
उत्तराखंड का अधिकांश क्षेत्र चीन और नेपाल की सीमा से सटा है। इसे देखते हुए राज्य की ओर से मांग की जा रही है कि एलएसी से 100 किलोमीटर के दायरे में जो व्यवस्था पूर्वी और पश्चिमी सीमा के लिए है, वह यहां भी होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री रावत ने कुछ समय पहले दिल्ली में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री डॉ.हर्षवद्र्धन से मुलाकात के दौरान भी यह मसला प्रमुखता से रखा था। उन्होंने कहा कि एलएसी से 100 किमी के दायरे में वन क्षेत्र से संबंधित विषयों पर निर्णय का अधिकार राज्य को मिलने से जहां सीमा सड़क संगठन और आइटीबीपी को लाभ मिलेगा, वहीं स्थानीय निवासियों के भी सड़क समेत अन्य योजनाओं में लाभ मिल सकेगा।
देहरादून पहुंचे केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. महेश शर्मा से विभिन्न विषयों पर चर्चा के दौरान उन्होंने यह बात प्रमुखता से रखी। सीएम आवास पर हुई इस बैठक के दौरान राज्य के गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडलों को सीधे आपस में जोडऩे के लिए कोटद्वार-रामनगर कंडी रोड का मसला भी रखा।
उन्होंने कहा कि इस मार्ग को ग्रीन रोड सहित पर्यावरण के अनुकूल अन्य विकल्पों पर भी सरकार काम कर रही है। भारतीय वन्यजीव संस्थान सहित अन्य विशेषज्ञ संस्थाओं की मदद ली जा रही है। राज्य की जनता और पर्यटन के लिहाज से यह मार्ग बहुत अहम है। केंद्रीय राज्यमंत्री ने इस पर भी सकारात्मक रुख दिखाया।
71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में विभिन्न योजनाओं के लिए एक हेक्टेयर तक के वन भूमि हस्तांतरण का अधिकार अगले पांच साल तक विस्तारित करने का आग्रह भी मुख्यमंत्री ने किया। इसके साथ ही आपदा प्रभावित जिलों में पांच हेक्टेयर तक की वन भूमि हस्तांतरण के 2016 में समाप्त हुए अधिकार का भी अगले पांच साल तक बरकरार रखने का आग्रह भी किया।