जेपी ग्रुप की कहानी, एक तरफ दिवालिया तो दूसरी तरफ 10 हजार करोड़ का फायदा
नोएडा । एक तरफ जहां जेपी ग्रुप को दिवालिया घोषित करने की तैयारी हो रही है, वहीं दूसरी तरफ वह वारे-न्यारे करने से भी पीछे नहीं हट रहा है। दरअसल, ग्रेटर नोएडा से आगरा तक यमुना एक्सप्रेस वे बनाने के एवज में जेपी को पांच जगहों पर टाउनशिप बसाने के लिए ढाई-ढाई हजार एकड़ जमीन मात्र अधिग्रहण कीमत पर दी गई थी।
एक टाउनशिप नोएडा के सेक्टर 128 में है। बाकी टाउनशिप दनकौर, जेवर, टप्पल व आगरा में बनाई जानी है। एक्सप्रेस वे बनाने के लिए हुए समझौते के हिसाब से टाउनशिप में पहले 1.5 फ्लोर एरिया रेसियो (एफएआर) के हिसाब से फ्लैटों का निर्माण करना था, लेकिन कुछ माह पहले जेपी ने अतिरिक्त एफएआर फ्री में हासिल कर यमुना प्राधिकरण को दस हजार करोड़ रुपये का चूना लगा दिया।
कमा लिए करोड़ों
जेपी ग्रुप को अब 3.5 एफएआर के हिसाब से फ्लैट बनाने की अनुमति मिल गई है। इस आधार पर उसने अतिरिक्त फ्लैटों के नाम पर नई बुकिंग कर करोड़ों रुपये कमा लिए, लेकिन निवेशकों को फ्लैट नहीं मिल रहे हैं। वह फ्लैटों के लिए चक्कर लगा रहे हैं।
दरअसल, नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में कम जगह पर अधिक लोगों को आशियाना देने के उद्देश्य से पहले बसपा और बाद में सपा सरकार ने प्राधिकरण को धनराशि देकर एफएआर खरीदने का नियम बनाया। इसके तहत पहले से आवंटित ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों के भूखंडों पर बिल्डर अतिरिक्त फ्लैट बना सकते हैं।
इस नियम का लाभ उठाने के लिए जेपी ग्रुप ने गत वर्ष प्राधिकरण में आवेदन किया कि उसे एक्सप्रेस वे बनाने की एवज में फ्री में जमीन मिली है। इसलिए उसे 1.5 से बढ़ाकर 3.5 का एफएआर फ्री में दिया जाए। प्राधिकरण ने इंकार कर पैसे देकर एफएआर खरीदने की बात कही।
दस हजार करोड़ का फयादा
सरकार में मिलीभगत कर जेपी ने मामला आर्बिटेशन में चला गया। आर्बिटेंशन में भी जेपी ने गलत जानकारी देते हुए कहा कि उसे यमुना एक्सप्रेस वे के निर्माण के एवज में फ्री में टाउनशिप के लिए जमीन मिली है। जबकि जेपी को अधिग्रहण कीमत पर जमीन दी गई थी। आर्बिटेंशन ने जेपी को फ्री में बढ़ा एफएआर देने के निर्देश दिए। इससे जेपी को सीधे तौर पर दस हजार करोड़ का फयादा हुआ।
यदि वह प्राधिकरण से एफएआर खरीदता तो यह धनराशि उसे जमा करनी पड़ती। हालांकि, यमुना प्राधिकरण आर्बिटेशन के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट चला गया है। इसमें 29 अगस्त को सुनवाई होनी है।
प्राधिकरण को जेपी ने 64.7 फीसद के19 सौ करोड़ रुपये भी नहीं दिए
प्रदेश सरकार ने किसानों की जमीन के मूल मुआवजे पर 64.7 फीसद अतिरिक्त मुआवजा और देने के निर्देश प्राधिकरण को दिए। प्राधिकरण ने आवंटियों से यह धनराशि वसूलकर किसानों को देनी शुरू कर दी है।
जेपी पर आवंटित जमीन का करीब 19 सौ करोड़ रुपये अतिरिक्त मुआवजा बनता है। इसमें नोएडा के सेक्टर 128 सेक्टर की टाउनशिप का पैसा भी है। जेपी ने इस धनराशि को देने से इंकार कर दिया। जबकि, अन्य बिल्डरों ने यह पैसा प्राधिकरण को दे दिया। जेपी इसके खिलाफ हाईकोर्ट चला गया। कोर्ट ने आर्बिटेशन के हवाले यह मामला कर दिया।
प्राधिकरण हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चला गया है। प्राधिकरण का कहना है कि आर्बिटेशन ने एफएआर के मामले में प्राधिकरण का पक्ष सुने बिना जेपी के पक्ष में फैसला सुनाया। इसलिए आर्बिटेशन में अतिरिक्त मुआवजे का मामला नहीं जाना चाहिए।
ग्रेटर नोएडा गोल्फ कोर्स के नाम पर कब्जा कर रखी है 65 एकड़ जमीन
जेपी ग्रुप ने सबसे पहले 1997 में 18 हॉल के गोल्फ कोर्स के लिए सस्ती दरों पर 500 एकड़ जमीन ली थी। प्राधिकरण ने इस शर्त पर सस्ती दरों पर जमीन दी थी कि जेपी ग्रुप शहरवासियों के लिए 65 एकड़ जमीन पर बेहतरीन पार्क विकसित कर देगा।
हैरत की बात यह है कि जेपी ने जमीन पर पार्क तो विकसित कर दिया, लेकिन उसे अपनी टाउनशिप की चारदीवारी के अंदर बना दिया। इससे शहरवासियों को पार्क का लाभ नहीं मिल सका। इस पार्क का लाभ जेपी रिसॉर्ट, जेपी के पांच सितारा होटल व बुमरिंग बार को ही मिल रहा है। प्राधिकरण ने कभी पार्क को खाली कराने का प्रयास नहीं किया।