राम के नाम के साथ राम का काम भी हो। परस्पर प्रीति और विचारों का सेतु ही राम का काम है :  मोरारीबापू

तीर्थस्थल सेतुबंध,धनुषकोडी- रामेश्वरम में पिछले सात दिन से पूज्य मोरारीबापू के श्रीमुख से रामकथा गाई जा रही है। संध्या की सहज सभा में बापू ने स्थानीय लोगों को उनके हाल-चाल पूछे थे। ज्यादातर वहां के लोग, स्थानिक भाषा के अलावा अन्य कोई भाषा नहीं जानते हैं। इसलिए एक दुभाषिया को बीच में रखकर बापू ने स्थानीय लोगों से साथ विचार-विमर्श किया। पू.बापू ने प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को समाज और प्रशासन के बीच का सेतु बताया।   देश और दुनिया में निरंतर चल रही रामकथा को बापू ने सत्य, प्रेम और करुणा की कथा कहा। और कहा कि, राम नाम के साथ राम का काम भी व्यासपीठ करती आई हैं। राम की वनयात्रा के संदर्भ में बापू ने कहा कि अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक की यात्रा का राम का इरादा तो यही था कि प्रांत-प्रांत, भाषा-भाषा, वर्ण-वर्ण, जाति-जाति और राष्ट्र-राष्ट्र, सबके बीच में एक सेतु निर्माण हो, सब सद्भावना से जुड़ जाये। और इसीलिए मीडिया वालों का काम भी तो सब को जोड़ने का है। सेतुबंध का यह काम, राम का काम ही है। बापू ने आगे कहा कि, कोई भी सत्कार्य, मानसी, वित्तजा और तनुजा सेवा के बिना संभव नहीं होता। कथा के निमित्त मात्र यजमान मदनभैया की सद्भावना को लेकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बापू ने कहा कि, वैसे तो जहां कथा होती है वहां भोजन-प्रसाद की व्यवस्था अनिवार्य रूप से होती ही है, लेकिन, इस कोविड-19 की परिस्थिति में, यजमानश्री का मनोरथ है कि प्रत्येक घर में अन्न के रूप में ब्रह्म को पूरे सम्मान के साथ पहुंचाया जाए। क्योंकि उपनिषद ने कहा है अन्न ही ब्रह्म है। इस शिव संकल्प के परिणाम स्वरूप, 15000 घरों में खाद्यन्न सामग्री, प्रसाद के रूप में – विनम्रता और आदर के साथ – कथा के समापन से पहले पहुंचाई जायेगी। इसके अलावा, पोंगल के पवित्र पर्व के उपलक्ष्य में, 1008 पोंगल सेट का भी प्रबंध किया गया है। इसके अलावा, जरूरतमंदों के लिए 108 सिलाई मशीन भी उपलब्ध कराया गया जायेगा। बापू से प्रश्न पूछा गया कि, क्या यहां राम मंदिर होगा! प्रत्युत्तर में बापू ने कहा के राम मंदिर बने तो स्वागत है। लेकिन, यहां रामेश्वर भगवान ही पर्याप्त है। बापू ने आगे कहा, मेरी दृष्टि में, यहां राम मंदिर के बजाए रामसेतु बन जाएं तो वही राम मंदिर माना जाएगा। और अगर राम-सेतु बन गया तो हमारा मनोरथ है कि, इस पवित्र जगह पर हम आकर रामकथा गाएंगे और परस्पर प्रीति और विचारों का सेतु बनाएंगे। कुछ हो, ना हो, पर किसी का दिल दु:खना नहीं चाहिए, इसकी भी सावधानी रखी जाए।  आखिर में, बापू ने कथा आयोजन में सहयोग और स्वागत के लिए, वहां के स्थानीय लोगों को और प्रशासन को धन्यवाद देते हुए सबको आने वाले पोंगल की बधाई और शुभकामनाएं दी।

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