जफरयाब जिलानी ने गिनाई तीन तलाक पर संसद में प्रस्तावित विधेयक की खामियां
लखनऊ । तलाक-ए-बिद्दत पर केंद्र सरकार की ओर से संसद में प्रस्तावित किए जाने वाले विधेयक का आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया। इसकी खामियां गिनाई और इसे मुुस्लिम परिवारों, महिलाओं और शरीयत के खिलाफ माना। बिल को मुस्लिम पर्सनल लॉ में अवांछित हस्तक्षेप माना जा रहा है। बोर्ड विधेयक को लेकर प्रधानमंत्री मुस्लिम समुदाय की भावनाओं से अवगत की तैयारी कर हा है। वह विधेयक वापस लेने की मांग भी करेगा। उल्लेखनीय है कि बोर्ड की वर्किंग कमेटी की आपात बैठक में बमुश्किल एक-तिहाई सदस्य ही पहुंचे।
जफरयाब जिलानी ने प्रस्तावित विधेयक की खामियां गिनायीं
- प्रस्तावित विधेयक में तीन तलाक के लिए सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है। बोर्ड की मंशा है कि जुर्माना तलाकशुदा महिला को मिले लेकिन विधेयक में इसका कोई प्रावधान नहीं है।
- सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले पहले से मौजूद हैं जिनमें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-125 का लाभ तलाकशुदा महिलाओं को देने की बात कही गई है, लेकिन प्रस्तावित विधेयक में तलाक-ए-बिद्दत और तलाक के दूसरे तरीकों में फर्क कर दिया गया है जो संविधान के तहत दिये गए बराबरी के अधिकार का उल्लंघन है।
- गार्जियन्स एंड वार्ड्स एक्ट के तहत प्रावधान हैै कि मां या पिता में से जिसे भी सौंपने में बच्चे की भलाई हो, बच्चा उसे ही सौंपा जाए। इस विधेयक में बच्चे की कस्टडी मां को ही सौंपने का प्रावधान है।
- जब शौहर जेल में बंद होगा तो वह पत्नी के भरण-पोषण का इंतजाम कैसे करेगा?
- विधेयक में तीसरे व्यक्ति द्वारा भी तीन तलाक की शिकायत का प्रावधान है। ऐसे स्थिति में पति को जेल हो सकती है। वहीं यह भी हो सकता है कि तलाक के बाद भी पति-पत्नी के बीच मधुर संबंध बने रहें।