आईआईटी रुड़की में प्रो. जय कृष्ण मेमोरियल लेक्चर के पहले संस्करण का ऑनलाइन आयोजन हुआ

रुड़की,।  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), रुड़की के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन डिजास्टर मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट (सीओईडीएमएम) द्वारा प्रो.जय कृष्ण मेमोरियल लेक्चर के पहले संस्करण का ऑनलाइन आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव और आपदा जोखिमन्यूनीकरण के लिए ससकावा पुरस्कार से सम्मानित डॉ. प्रमोद के. मिश्रा शामिल हुए और उन्होंने एक प्रभावी व्याख्यान दिया। संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि और यूएनडीआरआर की प्रमुख सुश्री ममी मिज़ुटोरी ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया और अपने विचारों को साझा किया। श्री.बी. वी. आर. मोहन रेड्डीअध्यक्षबीओजीआईआईटी रुड़कीडॉ. आर. के. भंडारी और प्रो. अजीत के. चतुर्वेदीनिदेशक-आईआईटी रुड़की भी इस अवसर पर उपस्थितरहे और अपनी बात रखी।

भारत के प्रधानमंत्री प्रधान सचिव और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए ससकावा पुरस्कार से सम्मानित डॉ. प्रमोद के. मिश्रा ने कहा, “मैं प्रो. जय कृष्णलेक्चर सिरीज़ का पहला व्याख्यान देने पर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। प्रो. जय कृष्ण अर्थक्वेक इंजीनियरिंग में अग्रणी और असाधारण प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे।उन्होंने आधुनिक अर्थक्वेक इंजीनियरिंग की नींव रखी और समय की कसौटी पर खरा उतरने वाले इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ़ इंजीनियरिंग की स्थापना की।कोविड19 महामारी ने आपदा प्रबंधन के पारंपरिक तरीके से सीखने की आवश्यकता और 21वीं सदी में इसकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया है। भारतीयों के विभिन्नघटनाओं के मानवीय, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव से सफलतापूर्वक बाहर निकलने का संकल्प प्रेरणादायक है। चक्रवातों से निपटने के भारत के प्रयासों की विश्वस्तर पर सराहना की गई है। प्रत्येक देश में क्षेत्रीय और स्थानीय स्तरों पर एक बहु-स्तरीय आपदा जोखिम प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है।” संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि और यूएनडीआरआर की प्रमुख सुश्री मामी मिज़ुटोरी ने कहा, “मैं इस पहल के लिए आईआईटी रुड़की को बधाई देनाचाहूंगी। स्वर्गीय प्रो. जय कृष्ण अर्थक्वेक इंजीनियरिंग क्षेत्र के एक बड़े व्यक्तित्व थे। आपदा प्रबंधन एक तकनीकी नहीं बल्कि एक राजनीतिक मुद्दा है, इसलिए इसकेसमाधान पर विचार के दौरान लोगों को केंद्र में रखने की आवश्यकता है। चुकि आपदाएं बड़े स्तर पर मानवीय समस्या पैदा करती हैं , इसलिए नेताओं को इसके समाधानके लिए नीति-निर्माण में शामिल होने की आवश्यकता है। “ श्री बी. वी. आर. मोहन रेड्डी, चेयरपर्सन, बीओजी, आईआईटी रुड़की ने कहा, ” मैं इस पहल पर आईआईटी रुड़की को बधाई देना चाहता हूं। प्रो. जय कृष्णा कई क्षेत्रोंमें अग्रणी थे। उन्होंने संस्थागत-निर्माण और राष्ट्र-निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

डॉ. आर. के. भंडारी ने कहा, “प्रो. जय कृष्ण मेमोरियल लेक्चर सीरीज के पहले संस्करण का हिस्सा बनना वास्तव में मेरे लिए एक सम्मान और विशेषाधिकार है। मैंइस पहल को शुरू करने पर सीओईडीएमएम, आईआईटी रुड़की को बधाई देता हूं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *