गर्भावस्था के दौरान मेडिटरेनीयन डाइट लेने से गर्भवती के स्वास्थ्य परिणाम बेहतर
एक नये क्लीनिकल अध्ययन में यह पाया गया कि जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान मेडिटरेनीयन स्टाइल का डाइट लेती हैं, जिसमें रोजाना ट्री नट्स (आधा हिस्सा अखरोट का हो) और एक्स्ट्रा वर्जिन ऑयल शामिल होता है, उनमें गर्भावस्था के दौरान होने वाले डायबिटीज का खतरा 35 प्रतिशत तक कम हो जाता है। साथ ही उन महिलाओं की तुलना में 1.25 किलोग्राम वजन कम बढ़ता है जिन्हें गर्भावस्था के दौरान अच्छी देखभाल मिलती है।
मेडिटरेनीयन स्टाइल डाइट अच्छे, अनसैचुरेटेड फैट से भरपूर होता है, ये चीजें अखरोट और एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल में पाया जाती हैं। 2018 में ‘लैंडमार्क प्रीडाइम्ड स्टडी’ में पाया गया है कि इससे वयस्कों में हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कार्डियोवैस्कुलर मौतों का खतरा कम हो जाता है। अखरोट में ओमेगा 3–एएलए कंटेंट (2.7ग्राम/30ग्राम) होने की वजह से मेडिटरेनीयन डाइट में यह पारंपरिक रूप से शामिल होता है। यह एकमात्र ऐसा नट होता है जिसमें आवश्यक फैटी एसिड और बायोएक्टिव कम्पाउंड काफी ज्यादा मात्रा में होते हैं । मेडिटरेनीयन डाइट का गर्भवती की मानसिक सेहत तथा गर्भस्थ शिशु पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है इसे लेकर काफी गहन अध्ययन किये गये हैं। उन अध्ययनों का आकलन बड़े पैमाने पर किया गया है, जिससे यह अध्ययन काफी बहुमूल्य होता जा रहा है।
लंदन के ‘क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी और ‘यूनिवर्सिटी ऑफ वॉरविक’ में संपन्न हुए इस नये अध्ययन में 1,252 मल्टी-एथेनिक इनर सिटी प्रेग्नेंट महिलाओं को शामिल किया गया,जिनमें मेटाबॉलिक जोखिम जैसे मोटापा और क्रॉनिक हाइपरटेंशन होने का खतरा ज्यादा था। फॉलिक एसिड तथा विटामिन डी सप्लीमेंट के अलावा उन महिलाओं को कभी मेडिटरेनीयन डाइट दी जाती थी या एक कंट्रोल ग्रुप को यूके के अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से वह खाना दिया गया जोकि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती की सेहत तथा वजन को नियंत्रित करने के लिये दिया जाता है।जिन महिलाओं ने मेडिटरेनीयन डाइट ली, वे रोजाना नट्स (30ग्राम/प्रतिदिन; 15 ग्राम अखरोट, 7.5 ग्राम बादाम, 7.5 ग्राम हेज़लनट) लेती थीं और खाना बनाने में मुख्य रूप से एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल (0.5ली/हफ्ते) का इस्तेमाल करती थी। इसके अलावा भोजन में मुख्य रूप से फल, सब्जियां, नॉन-रिफाइंड अनाज और फलियां शामिल थीं; मछली की औसत से उच्च मात्रा; पॉल्ट्री की कम से लेकर मध्यम मात्रा और डेयरी प्रोडक्ट्स शामिल थे; उन्हें निम्न मात्रा में रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट दिया गया; और शुगर युक्त ड्रिंक, फास्ट फूड और पशु आधारित वसा नहीं दिया गया।इस अध्ययन में हिस्सा लेने वालों को गर्भावस्था के दौरान उचित खानपान का पालन करने में मदद करने और खाना पांरपरिक रूप से अनुकूल है या नहीं इसके लिये उन्हें 18, 20तथा 28 हफ्तों में भोजन संबंधी सलाह दी गयी। अध्ययनकर्ताओं ने भोजन का अनुपालन सही तरीके से हो रहा है या नहीं, इस बारे में प्रतियोगियों से फीडबैक लिया, यह बात जानना आवश्यक था क्योंकि रिपोर्ट दर्ज करने में मानवीय भूल हो सकती थी।इसके साथ ही अध्ययनकर्ताओं ने गर्भावस्था के दौरान की अन्य परेशानियों जैसे हाई ब्लड प्रेशर, प्री- एक्लेम्पसिया, स्टिलबर्थ, गेस्टेशनल एज फीटस के लिए छोटा, या कितने समय के लिये नियोनेटल केयर यूनिट में रखा गया, उस पर मेडिटरेनीयन डाइट के प्रभाव का भी आकलन किया गया, लेकिन उससे कोई महत्वपूर्ण संबंध नहीं पाया गया।
चार में एक मां प्रेग्नेंसी में पहले से ही होने वाले मोटापा, हाइपरटेंशन या लिपिड के बढ़े हुए स्तर के साथ प्रवेश करती हैं, जिससे गर्भावस्था के दौरान परेशानियां होती हैं, आगे होने वाली मांओं और शिशुओं के लिये डायबिटीज तथा कार्डियोवैस्कुलर का खतरा बढ़ जाता है। इन परिणामों से मेडिटरेनीयन स्टाइल की डाइट का पालन करने की बात को और बल मिलता है, जिसका संबंध बेहतर कॉग्नेटिव कार्यप्रणाली जैसे स्वास्थ्य लाभ से है।
कैलिफोर्निया वॉलनट कमिशन (सीडब्ल्यूसी) ने इस अध्ययन के लिये अखरोट उपलब्ध कराये थे। सीडब्ल्यूसी पिछले 25 सालों से अखरोट पर स्वास्थ्य संबंधी अध्ययनों को अपना सहयोग देता आ रहा है। उनका उद्देश्य जानकारी प्रदान करना है और अखरोट खाने से स्वास्थ्य को होने वाले फायदों के बारे में समझाना है। सीडब्ल्यूसी ने विभिन्न प्रोजेक्ट के लिये धन और/या अखरोट उपलब्ध कराये हैं, वहीं वे सभी अध्ययन स्वतंत्र रूप से अध्ययनकर्ताओं द्वारा किये गये हैं। जिन्होंने प्रयोगों को तैयार किया, परिणामों की व्याख्या की और प्रमाण आधारित परिणाम प्रस्तुत किये। सीडब्ल्यूसी इंडस्ट्री फंडेड रिसर्च को वैज्ञानिक रूप से एकीकृत करने के लिये प्रतिबद्ध है।