उत्तराखंड के 625 मंदिरों में स्थानीय उत्पादों से बना प्रसाद मिलेगा
देहरादून : महिला स्वयं सहायता समूहों की ओर से स्थानीय उत्पादों से निर्मित प्रसाद को राज्य के 625 मंदिरों में बिक्री के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
बदरीनाथ धाम में इस योजना को मिली कामयाबी से खुश राज्य सरकार ने अन्य तीन धामों केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत राज्य के सभी मंदिरों में भी इसे प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आमदनी दोगुना करने और महिला सशक्तीकरण के संकल्प को अमल में लाने को उक्त योजना कारगर माध्यम बनेगी।
इससे राज्य में तकरीबन 25 हजार लोगों को रोजगार मिलने का रास्ता साफ होगा। राज्य सरकार प्रसाद बनाने के लिए प्रशिक्षण व अन्य सहूलियत भी उपलब्ध कराएगी। प्रसाद की टोकरी में फूल, अगरबत्ती, छोटी शिला भी शामिल रहेंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुक्रवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मंदिरों में प्रसाद योजना से स्थानीय फसलों को प्रोत्साहन मिल रहा है। इन फसलों में शामिल मंडुआ, कुट्टू व चौलाई से तैयार प्रसाद को बांस और ङ्क्षरगाल से निर्मित टोकरियों में इसकी पैकेजिंग की जा रही है।
दस-दस महिलाओं के तीन स्वयं सहायता समूहों ने बदरीनाथ धाम मात्र दो महीने में स्थानीय उत्पादों से निर्मित 19 लाख रुपये का जैविक प्रसाद बेचा। प्रसाद पर खर्चा करीब दस लाख रुपये रही, जबकि नौ लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ। इसतरह समूह की प्रत्येक महिला को 30 हजार रुपये की आमदनी हुई। इस कामयाबी को अब राज्य के 625 मंदिरों में दोहराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि राज्य में हर वर्ष तीन करोड़ श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इनमें से मात्र 80 लाख श्रद्धालुओं को सौ-सौ रुपये का प्रसाद बेचा जाए तो महिला समूहों को 80 करोड़ की आय हो सकती है। इससे महिलाएं आर्थिक रूप से सक्षम बन सकेंगी। किसानों को भी अपनी उपज का सही दाम मिल सकेगा। इस अवसर पर पद्मश्री डॉ अनिल जोशी भी मौजूद थे।