महंगे अस्पतालों में भी होगा गरीबों का इलाज, सरकार करेगी व्यवस्था
नई दिल्ली। इलाज के लिए अब किसी गरीब को अपनी जमीन या घर नहीं बेचना पड़ेगा। वह अब मंहगे अस्पतालों में अपना इलाज मुफ्त करा सकेगा। उसके इलाज के खर्च की व्यवस्था सरकार करेगी। फिलहाल सरकार ने देश के 50 करोड़ गरीबों को इस सुविधा का लाभ देने का ऐलान किया है। बजट भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ किया कि बाद में इस योजना का लाभ बाकी बची आबादी को भी दिया जा सकता है।
सरकार ने एक साथ बीमारी ही नहीं गरीबी का भी इलाज करने का तरीका ढूंढ निकाला है। विभिन्न सर्वे के अनुसार बीमारी के इलाज के कारण कारण कई परिवार हर साल गरीबी रेखा से नीचे चले जाते हैं। सरकारी अस्पतालों की खस्ताहाल स्थिति और निजी अस्पतालों के मंहगे इलाज की सबसे बड़ी मार देश के गरीबों को झेलनी पड़ती है। नये राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना से अब इन गरीबों के लिए मंहगे अस्पतालों के दरवाजे खुल जाएंगे। इस योजना के तहत आने वाले गरीब व्यक्ति को निजी अस्पताल में कोई फीस नहीं देनी पड़ेगी और उनका इलाज पूरी तरह कैशलेश होगा।
फिलहाल सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गरीब परिवारों को इलाज के लिए साल में 30 हजार रुपये तक सहायता देती है। पिछले बजट में इसके लिए कुल 470 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे। नया राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना पुरानी योजना की जगह लेगी। वैसे अभी तक यह साफ नहीं है कि यह पुरानी योजना की तरह बीमा के रूप में होगी या फिर सरकार अपनी ओर से गरीबों के इलाज का खर्च वहन करेगी। स्वास्थ्य और वित्त मंत्रालय के अधिकारी इसकी रूपरेखा को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इसके लिए बजट में 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वैसे जेटली ने साफ कर दिया है कि गरीबों के इलाज के लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। जेटली के अनुसार यह योजना फिलहाल 10 करोड़ गरीब परिवारों तक सीमित है। लेकिन इसे बाद में बाकी बची जनसंख्या को भी शामिल किया जा सकता है।
टीबी मरीजों को मिलेगा पोषाहार भत्ता
गरीब आदमी के इलाज का बंदोबस्त करने के लिए साथ ही जेटली ने बजट में टीबी के मरीजों के पौष्टिक आहार का प्रबंध किया है। टीबी की बीमारी खासतौर पर गरीबों को अधिक होती है और देश में संक्रामक बीमारियों में सबसे अधिक मौतें टीबी की वजह से होती है। सरकार ने टीबी का इलाज मुफ्त होने के बावजूद पौष्टिक आहार के अभाव में गरीबों पर इन दवाओं का असर कम होता है। पहली बार टीबी के मरीजों को 500 रुपये प्रति माह रुपये की सहायता दी जाएगी। ताकि वह पौष्टिक आहार ले सके। बजट में इसके लिए 600 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।
-इलाज के अभाव में अब किसी गरीब की मौत नहीं होगी और न ही वह कर्ज के चुंगुल में फंसेगा।
– पूरी योजना अभी तक साफ नहीं है और इस प्रारूप पर मंथन किया जा रहा है।