पॉलीथीन की हो रिसाइकलिंग

 

पॉलीथीन आज की बड़ी समस्या बन गया है। पॉलीथीन का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। पॉलीथीन से प्रदूषण होता है। पॉलीथीन पर प्रतिबंध लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट ने निर्देश भी दिये थे। प्रदेश, जिला व स्थानीय निकायों ने पॉलीथीन बिक्री पर व्यापारियों को प्रयोग के लिए उत्तरदायी मानते हुए उनके भी चालान करने के आदेश दिये थे किन्तु ये सभी आदेश हवाई साबित हुए। लोगों ने ही व्यापारियों से सामान खरीदने के वक्त पॉलीथीन थैली में ही वस्तुएं देने की मांग की। लोगों ने अपनी सुविधा के लिए पॉलीथीन की थैलियां जमा करना शुरू कर दिया। व्यापारियों ने कागज की थैली में सामान दिया तो वे फट गयीं। कपड़े के थैले महंगे साबित हुए। उपभोक्ता पॉलीथीन की थैलियों का इतना अभ्यस्त हो गया है कि कपड़े या जूट का थैला कंधे पर लटका कर बाजार नहीं जाता। ग्राहक भी दुकानदार से पॉलीथीन की थैलियों में सामान मांगता है। हाईकोर्ट का आदेश बेअसर साबित हुआ। इस तरह कानून का मजाक बन गया। समस्या जस की तस रही।
पॉलीथीन की थैलियों का प्रयोग आजकल लोगों की दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। समस्या पॉलीथीन की थैलियों की नहीं है। समस्या है कि उपयोग के बाद उपभोक्ता इसे इधर-उधर फेंक देते हैं। ये पॉलीथीन की थैलियां कूड़े से जानवर निगल जाते हैं जिस कारण उनका पेट फूल जाता है और अचानक मौत हो जाती है। पॉलीथीन सही अर्थों में अपने आप में कोई समस्या नहीं है इसकी समस्या इसके निस्तारण की है। पॉलीथीन जलाने से नष्ट तो होता है लेकिन पॉलीथीन व प्लास्टिक के जलने से कार्बन डाईआक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड व मीथेन गैस पैदा होती है जो वायुमण्डल में प्रदूषण फैलाती है। पॉलीथीन का निस्तारण संभव है। पॉलीथीन उपयोगी वस्तु बन गया है। इसके रिसाइकलिंग से कई वस्तुएं बनती हैं। अब इससे विद्युत का उत्पादन किया जायेगा। इससे प्लास्टिक के पाइप व अन्य कई वस्तुएं बनायी जाती है। प्लास्टिक के बॉयों से सड़क बनायी जा रही है जो काफी टिकाऊ व सस्ती होती है।
पॉलीथीन नष्ट नहीं होता है ऐसी धारणा है। लेकिन अनुभव यह बताता है कि पॉलीथीन पुराना होने पर स्वयं क्षय होता जाता है और उसका चूरा बन जाता है। प्लास्टिक के पदार्थ पॉलीथीन से अधिक हानिकारक है लेकिन आज देशी व विदेशी वस्तुएं यहां तक कि जीवनदायिनी दवाइया ंप्लास्टिक की पतली थैलियों व
शीशियों में बाजार में बिकने आती हैं। प्लास्टिक सस्ता व वजन में हल्का होता है। इसलिए वस्तुओं के निर्माता प्लास्टिक के केसो व कन्टेनर का प्रयोग करते हैं। यह सामान विदेशों
से हमारे देश में आता है इस पर
रोक नहीं लगायी जा सकती। स्टील व चीनी के बर्तन महंगे पड़ते हैं। इसलिए उपभोक्ता महंगी चीजें खरीदने से परहेज करते हैं। इस तरह से पॉलीथीन, प्लास्टिक पर प्रतिबंध अव्यावहारिक प्रतीत होता है। इन पर कानून प्रतिबंधों को ठेंगा दिखा दिया जाता है।
प्लास्टिक का इतिहास बहुत पुराना है। प्लास्टिक वर्ष 1930 में आया था। प्लास्टिक के उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है दो दशकों के अंदर इसका उत्पादन दुगने से अधिक पहुंचा था वर्ष 1973 में प्लास्टिक का उत्पाद 40 करोड़ टन सालाना था जो वर्ष 1990 में 86 करोड़ सालाना हो गया था। अब यह लगातार बढ़ रहा है। पॉलीथीन व प्लास्टिक की कंपनियां भारी मुनाफा कमा रही हैं। पॉलीथीन को नष्ट करने के लिए शोध कार्य किये जा रहे हैं। गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर ने एक खास किस्म के बैक्टीरिया की खोज की जो पॉलीथीन को नष्ट करता है। इससे वायुमण्डल भी प्रदूषित नहीं होता है। पॉलीथीन के सदुपयोग के लिए निकायों व पंचायतों को आगे आना होगा। पॉलीथीन व प्लास्टिक के रिसाइकलिंग के लिए इन्हें प्लांट में भेजा जाना चाहिए। ई-कचरा वायुमण्डल के लिए खतरा है लेकिन आजकल इलैक्ट्रोनिक वस्तुएं जनजीवन का अभिन्न अंग बन चुकी है। ई-कचरे पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता किन्तु इसका वैज्ञानिक रूप से निस्तारण अति आवश्यक है। पॉलीथीन का प्रचलन रोकने के लिए यह आवश्यक है कि इसका विकल्प खोजा जाय। यदि कोई ऐसा विकल्प सामने आया जो सस्ता व टिकाऊ हो तो पॉलीथीन खुद ही चलन से बाहर हो जायेगी।
पॉलीथीन पर प्रतिबंध के परिणाम सुखद नहीं रहे हैं। इस पर प्रतिबंध से लोगों में कानून की गरिमा घटी है। इसका प्रचलन रोकने को अभियान भी अफसरों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। इस अभियान में कभी संघर्ष की स्थिति पैदा हो जाती है। पर्यावरण संरक्षण के लिए पॉलीथीन के प्रचलन को रोकने के बजाय वृक्षारोपण को प्रोत्साहन करना होगा। वनों की रक्षा के प्रयास करने होंगे। वन्यजीवों की रक्षा करनी होगी, खेती को बचाना होगा, गांवों का शहरीकरण रोकना होगा, जलवायु परिवर्तन वैश्विक समस्या है। जल, वायु व ध्वनि प्रदूषण आज की गंभीर समस्या है जिसे कम करना होगा। पॉलीथीन के प्रतिबंध को प्रमुख मानकर अन्य खतरनाक प्रदूषण के कारकों से हम दूर चले गये हैं जिससे जलवायु परिवर्तन व ग्लोबल वार्मिंग एक विकट समस्या बन रहा है।

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