दूसरी पार्टियों से पद त्यागने वाले नेताओं को भाजपा से ‘रिटर्न गिफ्ट’ का इंतजार
लखनऊ । सपा और बसपा के पांच विधान परिषद सदस्यों ने इस्तीफा देकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डॉ. दिनेश शर्मा, परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और राज्यमंत्री मोहसिन रजा को सदन का सदस्य बनने का मौका दिया।
अब पद त्याग करने वाले इन नेताओं को ‘रिटर्न गिफ्ट’ का इंतजार है। उम्मीद भी थी कि इनकी दीपावली गुलजार होगी, लेकिन संयोग नहीं बन सका। वैसे भाजपा सरकार और संगठन इस दिशा में गंभीर है पर, इनकी ताजपोशी कब होगी, अभी कहा नहीं जा सकता है।
सपा एमएलसी यशवंत सिंह, बुक्कल नवाब, सरोजिनी अग्रवाल व अशोक वाजपेयी और बसपा के ठाकुर जयवीर सिंह के इस्तीफे से रिक्त हुई सीटों पर योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा, स्वतंत्र देव सिंह और मोहसिन रजा को एमएलसी बनने का मौका मिला। इन सभी ने विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य हुए बिना सरकार में शपथ ली थी।
विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस्तीफा देकर न केवल इनके लिए राह आसान की बल्कि भाजपा संगठन को भी चुनाव मैदान में जाने से बचा लिया। अगर इस्तीफे नहीं होते तो सरकार के शीर्ष पदों पर बैठे माननीयों को 19 सितंबर के बाद विधानसभा चुनाव लड़ना पड़ता क्योंकि, दूसरा कोई चारा नहीं था। जाहिर है कि भाजपा संगठन त्यागपत्र देने वाले नेताओं के भविष्य को लेकर विचार जरूर करेगा।
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर कहते हैं कि ‘पार्टी समय आने पर निश्चित रूप से इनके बारे में विचार करेगी। अब ये लोग परिवार के सदस्य हैं। समय पर सम्मानजनक तरीके से इनका समायोजन होगा।’
भाजपा में संगठन के फैसले को वरीयता: भाजपा में संगठन के फैसले को ही वरीयता दी जाती है। राजनाथ सिंह जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब उनके लिए सुरेंद्र नाथ अवस्थी उर्फ पुत्तु अवस्थी ने बाराबंकी के हैदरगढ़ की विधानसभा सीट छोड़ी। अवस्थी उन दिनों कांग्रेस के विधायक थे। राजनाथ केंद्र सरकार में मंत्री और राज्यसभा के सदस्य थे।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि अवस्थी से कमिटमेंट था कि उनकी राज्यसभा की खाली सीट उन्हें मिल जाएगी। पर, बाद में संगठन ने अवस्थी को राज्यसभा में नहीं भेजा। राजनीति में कई बार वर्तमान परिस्थितियों पर फैसले निर्भर होते हैं। इसके चलते कई बार त्याग से ज्यादा और कई बार त्याग से कम पर भी संतोष करना पड़ता है।
निगम और आयोग में भी हो सकता है समायोजन: इस्तीफा देने वाले नेताओं का समायोजन भाजपा विभिन्न आयोग और निगमों में कर सकती है। पर्यटन निगम, अल्पसंख्यक आयोग, महिला आयोग, अनुसूचित जाति आयोग समेत कई पदों पर नियुक्ति के अवसर मिल सकते हैं। इस्तीफा देने वाले सदस्यों में ठाकुर जयवीर सिंह को छोड़कर बाकी सबका कार्यकाल लंबा रहा है, इसलिए यह भी बात उठ रही है कि उनकी अपनी इच्छा राज्यसभा या विधान परिषद में ही जगह बनाने की है।
अप्रैल और मई में खाली होंगी कई सीटें: अप्रैल 2018 में राज्यसभा की दस और मई 2018 में विधान परिषद की 13 सीटों का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इन सीटों पर चुनाव होना है। भाजपा और सहयोगी दलों के पास 325 विधायक होने की वजह से उनका पलड़ा भारी रहेगा और अधिकाधिक सीटें भाजपा के ही हिस्से में रहेंगी। इन पर काबिज होने के लिए संगठन के कई पुराने नेताओं की भी दावेदारी चल रही है, लेकिन माना जा रहा है कि अगर तब तक इस्तीफा देने वाले नेताओं का कहीं समायोजन नहीं हुआ तो उन्हें यह मौका मिल सकता है।
News Source: jagran.com