पदम् श्री भारत भूषण त्यागी ने आईआईटी रुड़की द्वारा आयोजित ‘ग्रामीण विकास में जैविक कृषि और आत्मनिर्भर भारत’ की महत्ता पर व्याख्यान दिया
रुड़की, । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने ग्रामीण विकास में जैविक खेती की महत्ता पर इंस्टीट्यूट लेक्चर आयोजित किया।‘ग्रामीण विकास और आत्म-निर्भर भारत में जैविक खेती का योगदान’ विषय पर इस पहल को रीजनल कार्डिनेटिंग इंस्टीट्यूट, उन्नत भारत अभियान और आईआईटीरुड़की द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। इस इवेंट का मकसद समग्र सामुदायिक विकास सुनिष्चित करने और ग्रामीण भारत के विकास की राह मजबूत बनानेमें जैविक खेती के योगदान पर विचार साझा करना और छात्रों को कृषि संबंधित चुनौतियों से अवगत कराना था।आईआईटी रुड़की में आरसीआई-यूबीए के समन्वयक प्रो. आशीष पांडे ने वेबिनार का शुभारंभ किया, जिसमें प्रतिश्ठित भारतीय किसान, शिक्षक, प्रशिक्षक श्री भारतभूषण त्यागी ने एक प्रमुख वक्ता के तौर पर जैविक कृषि पर अपने विचार पेश किए। उन्हें भारत के चौथे सर्वाधिक लोकप्रिय पदम श्री जैसे कई अवार्ड मिल चुके हैं, उन्हेंभारतीय कृषि क्षेत्र में अपने सराहनीय योगदान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रोग्रेसिव फार्मर अवार्ड, पंतनगर एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी-उत्तराखंड द्वारा डाॅक्टरेटआॅफ साइंस, आॅर्गेनिक वल्र्ड कांग्रेस के दौरान धरतीमित्र अवार्ड जैसे सम्मानों से नवाजा गया है।मुफ्त सुविधाओं के साथ 80,000 से ज्यादा किसानों को प्रषिक्षित करने के बाद उनके प्रयासों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को बढ़ावा दिया है। आईआईटी रुड़की के उपनिदेशक प्रो. एम परीदा ने अपने संबोधन में कहा कि ग्रामीण विकास में सक्रिय भागीदारी के लिए हमारी प्रेरणा को भारत भूषण त्यागी जी केअनुभव से ताकत मिलेगी। श्री त्यागी जी द्वारा चलाई गई पहलों ने ग्रामीण इलाकों में जैविक खेती की लोकप्रियता बढ़ाने में अहम योगदान दिया है और यूबीए संस्थानों केबीच जागरूकता पैदा करने के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण होगा।श्री भारत भूषण त्यागी ने कहा, ‘कृषि ग्रामीण भारत का आधार है और यह क्षेत्र देश में सबसे बड़ा नियोक्ता है। कृषि आधार को मजबूत बनाने से खाद्य सुरक्षा सुनिष्चितकरने, रोजगार पैदा करने, सहायक औद्योगिक विकास को सुगम बनाने और राष्ट्रीय आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। भारतीय युवाओं को कृषि और इससे संबद्ध क्षेत्रों मेंरोजगार के लिए आगे आना चाहिए क्योंकि यह क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम योगदान दे सकता है।’त्यागी ने याद करते हुए कहा कि उनकी यात्रा कई चुनौतियों से जुड़ी रही, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और सफलता की राह पर पूरे समर्पण के साथ लगातार बढ़तेरहे।त्यागी नेशनल सेंटर आफ आर्गेनिक फार्मिंग, इंटरनैषनल कम्पेटेंस सेंटर फाॅर आॅर्गेनिक एग्रीकल्चर (आईसीसीओए), कृषि मंत्रालय (भारत), एएफसी, और नेशनल बैंकफाॅर एग्रीकल्चर ऐंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) जैसे सरकारी संगठनों के साथ काम कर चुके हैं। उन्हें प्रख्यात जी बी पंत यूनिवर्सिटी आॅफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलाजी,पंतनगर, उत्तराखंड द्वारा डाक्टर आफ साइंस की उपाधि से सम्मानित किया गया है। यह भारत में पहला कृषि विष्वविद्यालय है।आईआईटी रुड़की के निदेषक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, ‘श्री भारत भूषण त्यागी जैविक खेती की दिशा में भारत के प्रयासों के ध्वजवाहक हैं। पष्चिमी उत्तर प्रदेष मेंअपनी सफलता के साथ उन्होंने यह दिखा दिया है कि जैविक खेती लोगों का आंदोलन बन सकती है। कृषि के लिए अपने योगदान के लिए कई सम्मान पाने वाले त्यागीआज की पीढ़ी के रोल माॅडल हैं। उनकी उपलब्धियों में युवा वर्ग को पेषे के तौर पर कृषि का चयन करने के लिए प्रेरित करने की क्षमता है।’उत्तर प्रदेष के बुलंदषहर निवासी श्री भारत भूषण त्यागी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से मैथमेटिक्स, फिजीकल और केमिस्ट्री में बी एससी की। वह कार्य करना चाहते थे, लेकिनउनके पिता इसके लिए तैयार नहीं थे, इसलिए वह अपने गांव लौट गए थे, जो भारती कृषि केबदलाव की दिशा में उनके लिए एक सुनहरा अवसिर साबित हुआ।यह पहल उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के मार्गदर्षन में आयोजित की गई थी। यूबीए भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा दिसंबर 2014 में शु रू कीगई परियोजना है। इसका मकसद ग्रामीण आजीविका सुधारने के लिए भारत में प्रमुख षैक्षिक संस्थानों की दक्षता का लाभ उठाना है। इसका मिशन उन प्रक्रियाओं कोसक्षम बनाने के लिए एक आंदोलन के तौर पर संकल्पित है जो भागीदारी प्रक्रियाओं और उचित प्रौद्योगिकियों के जरिये ग्रामीण भारत की विकासात्मक चुनौतियों को दूरकरने के लिए उच्च शिक्षा के संस्थानों को स्थानीय समुदायों से जोड़ता है।