मलिन बस्तिवासियों को नोटिस देने का होगा विरोध : आप
देहरादून, । आम आदमी पार्टी द्वारा नदी-नाला क्षेत्र की मलिन बस्तीवासियों को नगर निगम द्वारा नोटिस दिये जाने का पुरजोर तरीके से विरोध करेगी और सड़कों पर उतरकर इसके लिए आंदोलन करेगी।उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान आम आदमी पार्टी की प्रदेश संचालन समिति के अध्यक्ष नवीन पिरशाली ने कहा कि नगर निगम द्वारा नदी-नाला क्षेत्र में बसे हजारों परिवारों को जगह खाली करने के नोटिस दिये गये हैं। परन्तु शासन को यह भी देखना चाहिये कि इन बेघर परिवारों के पुनर्विस्थापन व पुनर्वासन के लिये सरकार के पास क्या कोई ठोस नीति व योजना है। उन्होंने कहा कि नगर निगम की इस कार्यवाही से प्रभावित हजारों बस्तीवासियों में भय, संतोष व आक्रोश का माहौल व्याप्त है। यदि ये बस्तियाँ अवैध हैं तो बस्तीवासियों को बिजली, पानी, सीवर, राशन कार्ड जैसी सुविधायें मुहैया कराने वाले जनप्रतिनिधियों व अधिकारी-कर्मचारियों पर सरकार क्या कार्यवाई कर रही है? जिन लोगों को नोटिस जारी किये जा रहे हैं उनमें बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जिनके पास ग्राम समाज द्वारा आवंटित पट्टे हैं।उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और काँग्रेस अतिक्रमण के मुद्दे पर केवल वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं, जबकि कड़वी सच्चाई यही है कि अपने कार्यकाल में इन दोनों सरकारों ने मलिन बस्तियों के उत्थान के लिये कुछ नहीं किया है। पिरशाली ने मलिन बस्तियों के मुद्दे पर प्रदेश की त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार को निशाने पर लेते हुये कहा कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार ने 230 बस्तियों का नियमितीकरण कर उन्हें मालिकाना हक दिया है। त्रिवेन्द्र सरकार न्याय का भरोसा दिला कर लोगों को गुमराह कर रही है।उनका कहना है कि आज राज्य सरकार मलिन बस्तियों के लिये अध्यादेश लाने की बात कर रही है तो फिर बस्तीवासियों को नोटिस क्यों दिये जा रहे हैं ? भाजपा की राज्य सरकार की नीयत में खोट है और भाजपा के कुछ विधायक जनता को दिग्भ्रिमत कर रहे हैं, वरना 57 विधायकों की पूर्ण बहुमत की डबल इंजन की सरकार तत्काल कैबिनेट बैठक में अध्यादेश पारित कर प्रभावितों को राहत दे सकती है। जब शराब माफियाओं के हित में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ठेंगा दिखाकर त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार रातों-रात राष्ट्रीय राजमार्ग को राज्य मार्ग में बदलने का फैसला ले सकती है तो गरीबों के घरों को बचाने के लिये क्यों मौन है। उनका कहना है कि जो काँग्रेस आज मलिन बस्तीवासियों के लिये घड़ियाली आँसू बहा रही उसने मलिन बस्तीवासियों के उत्थान व स्थातित्व के लिये क्या किया है? उत्तराखंड की स्थापना के 18 वर्षो बाद भी स्थितियाँ जस की तस हैं। भाजपा और काँग्रेस दोंनों ही सिर्फ दिखावा कर रही हैं और मलिन बस्तीवासियों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील व गंभीर नहीं हैं। त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार हाईकोर्ट में मलिन बस्तियों पर अपना पक्ष रखने में असफल सिद्ध हुई है, जिसका खामियाजा बस्तीवासियों को भोगना पड़ रहा है। राज्य सरकार को जल्द से जल्द कोर्ट के आदेश पर स्टे लाना चाहिये और मजबूती के साथ अपना पक्ष रखना चाहिये। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी मानवीय व नैतिक तौर पर मलिन बस्तीवासियों के साथ है। आम आदमी पार्टी माँग करती है कि राज्य सरकार व निगम प्रशासन द्वारा मलिन बस्तीवासियों को जारी नोटिसों को तत्काल खारिज किया जाये और न्यायालय के आदेशों की परिधि में मलिन बस्तीवासियों को पर्याप्त मुआवजा, पुनवर्यवस्थापन किया जाये।