कई मुद्दों पर ‘‘ नमो’’ की खमोशी जनता को चुभने लगी
कई मुद्दों पर भारी भरकम आवाज और तमाम उदाहरण देने वाले भारत के वर्तमान में सबसे लोकप्रियता हासिल करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘‘ नमो’’ की कई मुद्दों पर खमोशी जनता को चुभने लगी है। नोटंबदी के बाद काले धन का वापसी, बेरोजगारी, बेढ़ती महंगाई, कश्मीर में धारा 370, पाकिस्तान को करारा जबाब जैसे तमाम मुद्दे है जिन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘‘नमो’’ जनता को सुस्पष्ट जबाब नही दे रहे है। यह चुप्पी इसलिए और खल रही है कि चुनाव करीब है, नमों दूसरी पारी खेलने के मूड में है तो जनता का पिछले घोषणाओं का जबाब तो मिलना ही चाहिए। 7 अप्रैल की सुबह भाजपा ने दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र जारी किया था। इस दौरान लालकृष्ण आडवाणी और श्रीमती सुषमा स्वराज, राजग के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह उपस्थित थे। इस घोषणा पत्र में अयोध्या में बनेगा राम मंदिर, व्यवस्था में सुधार और भ्रष्टाचार के साथ ही टीम इंडिया की परिकल्पना,राष्ट्रीय स्वास्थ्य गारंटी मिशन सहित नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति,अस्पतालों का आधुनिकीकरण किया जाएगा, प्रत्येक राज्य में एम्स होगा, न्यायिक, चुनावी और पुलिस सुधार, महंगाई पर नियंत्रण,अल्पसंख्यकों को शिक्षा और उद्योग, निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कर प्रणाली में सुधार, कर आतंक का खात्मा, प्रत्येक गांव तक पानी, नदियों को जोड़ने जैसी बड़ी बड़ी घोषणाएं 52 पन्नें की घोषणा पत्र में की गई थी। लेकिन इन घोषणााओं के परिपेक्ष्य में जनता को क्या मिला इसे जनता महसूस कर रही है। यह अलग बाॅत है कि भारतीय जनता पार्टी को प्रचार प्रसार में विश्व स्तर पर एकाधिकार प्राप्त है। यही कारण है कि एक दिन झाडू के साथ फोटों खिचाने वाले नेताओं की फोटों सोशल मीडिया, मीडिया में वायरल हो जाती है, ठीक दूसरे दिन उसी स्थान पर कूड़े का ढ़ेर मिलता है। हा यह अलग बाॅत है कि विपक्षी दल अपनी जमीन खो चुके है। उनकी समझ में नही आ रहा कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विदेश यात्रा पर उनसे प्रश्न पूछ या फिर उनसे बढ़ती महंगाई पर घेरे या फिर बेरोजगारी के उनके दावों पर झकझोर दे। भाजपा के प्रचार तंत्र के आगे विपक्षी दल पूरी तरह से कन्फ्यूज और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ‘‘ महा कन्फ्यूज ’’ है।
अब ताजा मामला ‘‘ रेफेल ’’ का ले तो उसे उठाने के बाद भाजपा के छोबी पछाड़ के रूप में ‘‘राबर्ट बाड्रा ’’ की घेरा बंदी के बाद कांगेस की बोलती बंद हो गई। इसके साथ ही भारत से भागकर लंदन में रह रहे भगोड़े उद्योगपति विजय माल्या ने वित्तमंत्री अरुण जेटली के बारे में जो बयान दिया है, उससे राजनीतिक तूफान आना ही था। हमारे देश की राजनीति खासकर इस चुनावी माहौल में जो अवस्था है, उसमें किसी पर भी आरोप लगा नहीं कि विपक्ष उसे खलनायक साबित करने को तूल देता है। माल्या ने लंदन में मीडिया से बात करते हुए वेस्टमिनिस्टर कोर्ट में प्रत्यर्पण सुनवाई पूरी होने के बाद सनसनीखेज आरोप लगाया कि देश छोड़ने से पहले सैटलमेंट ऑफर लेकर वह वित्तमंत्री अरुण जेटली से मिला था। मैंने बताया कि संसद में जेटली से मिला था और यह भी बताया था कि मैं लंदन जा रहा हूं। लेकिन हमारी कोई औपचारिक मुलाकात नहीं थी। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक ब्लॉग पर सफाई देते हुए कहा कि माल्या का यह दावा गलत है। यहां सवाल यह उठता है कि आखिर यह तय होने के बावजूद की माल्या आर्थिक अपराधी है जिसने 9000 करोड़ का घोटाला किया है उसके भागने में मदद किसके कहने पर हुई? आखिर किसके आदेश पर सीबीआई ने बदला लुकआउट सर्पुलर? इन सवालों का जवाब देश चाहता है। आरोप-प्रत्यारोप से काम चलने वाला नहीं है। ठोस जवाब व सबूत चाहिए। इसी तरह बैंकों का कर्ज क्यों डूबता चला गया और वह कैसे बदहाल होते गए, इसका ताजा खुलासा रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने किया है। राजन ने संसद की प्रॉक्कलन समिति के जवाब में बताया है कि किस तरह उदारता बरती गई, वहीं भारी पड़ी। एनपीए के मसले पर जो खुलासा रघुराम राजन ने अब किया है वह कई गंभीर सवाल खड़े करते हैं। एनपीए की समस्या ने बैंकिंग प्रणाली के खोखलेपन को उजागर करके रख दिया है। इससे यह पता चलता है कि बैंकों की अंदरूनी प्रबंध तंत्र किस तरह से संचालित होता है और होता रहा है। राजन के खुलासों से आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू होना स्वाभाविक ही था। यूपीए और एनडीए दोनों ही आज की स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं।
भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा भी प्रधानमंत्री से प्रश्न पूछ रहे है वे कहते है कि न मेरे पास 56 इंच का सीना हैं और न ही मैं मन की बात करता हूं। मैं तो अपने दिल की बात कहता हूं। जनता पूछती है आप भाजपा के खिलाफ क्यों बोलते हैं तो मैं जवाब देता हूं भले ही भारतीय जनता पार्टी में हूं लेकिन उससे पहले मैं भारत की जनता का हूं। मैं जानता हूं पाटी से पहले देश होता है। मोदी सरकार ने काला धन वापस लाने का दावा किया था। नोटबंदी की गई तो 99.9 पतिशत पैसा बैंकों में वापस आ गया है, लेकिन काला धन कहां है? काला धन तो वापस नहीं आया, मित्रों के पास चला गया। भाजपा छोड़ चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी पीएम मोदी का नाम लिए बगैर कहा कि देश की राजनीति बदल रही है। सबसे बड़ा बदलाव कुछ नेताओं के झूठ बोलने की आदत से आया है। देश की जनता अब झूठ को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं हैं। देश के सर्वोच्च पद पर बैठा व्यक्ति देश के हालात को जानते हुए भी जानबूझकर झूठ बोल रहा है। ऐसा इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। दिल्ली के मुख्यमंत्री प्रश्न कर रहे है कि अरविंद केजरीवाल ने कहा कि देश आज बदलाव चाहता है। पधानमंत्री जनता को यह बताएं कि 540 करोड़ रुपए का लड़ाकू विमान 1600 करोड़ रुपए में क्यों खरीदा गया। डीजल और पेट्रोल की लगातार बढ़ती कीमतों से देशभर में तूफान मचा है। देश के 16 दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया और ईंधन की लगातार बढ़ती कीमतों के लिए मोदी सरकार की जमकर आलोचना कर रहे है। सभी दलों ने एक स्वर में मोदी सरकार को संवेदनहीन करार दिया और कहा कि चार साल में इनकी नीतियों के कारण देश की जनता त्रस्त है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने डीजल और पेट्रोल की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि और महंगाई को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह भाजपा के लोगों का अहंकार है कि जनता महंगाई से परेशान है और भाजपा कह रही है कि वह अगले 50 साल तक सत्ता में रहेगी। राहुल ने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले महिलाओं की सुरक्षा, किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था। जनता ने भरोसा कर उनकी सरकार बनवाई। अब लोगों को साफ अहसास हो गया कि उन्होंने साढ़े चार साल में क्या किया ? मोदी जी कहते हैं कि उन्होंने साढ़े चार साल में वो किया जो 70 साल में नहीं हुआ। अब लोगों को पता चल गया है कि उन्होंने साढ़े चार साल में हिन्दुस्तानियों को आपस में लड़वाया। महिलाओं पर अत्याचार होते रहे पर प्रधानमंत्री खामोश रहे। देश का कारोबारी और किसान परेशान हो गया है। युवा रोजगार तलाश कर रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि कलशों का जिक्र करते हुए पवार ने कहा कि इसे जिस तरह से प्रचारित किया जा रहा है वह उनकी सेवाओं को याद करने का सही तरीका नहीं है। बेशक भाजपा सरकार कई योजनाओं परियोजनाओं विदेशों में मिल रहे प्रधानमंत्री मानसम्मान की चर्चा कर वाहवाही लूटे लेकिन इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि जो मुद्दे विपक्षी दलों ने उठाए हैं वह सब ज्वलंत मुद्दे हैं जिन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को को जवाब देना चाहिए।