स्वाइन फ्लू का कहर, दिल्ली से सटे नोएडा के स्कूलों में सुबह की प्रार्थना पर रोक
नई दिल्ली । देश के साथ-साथ दिल्ली-एनसीआर में भी मरीजों में इजाफे के साथ स्वाइन फ्लू का खौफ बढ़ता जा रहा है। बीमारी की दहशत का आलम यह है कि नोएडा के सभी स्कूलों में सुबह होने वाली प्रार्थना सभा पर रोक लगा दी गई है।
वहीं, जिला प्रशासन द्वारा निकाले गए आदेश में सभी स्कूलों को निर्देशित किया गया है कि सुबह होने वाली प्रार्थना सभा को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दिया जाए।
जानें क्या गया है आदेश में
जिलाधिकारी के आदेश में तर्क दिया गया है कि प्रार्थना के दौरान स्कूल के सभी बच्चे एक जगह जमा होते हैं। ऐसे में स्वाइन फ्लू से पीड़ित बच्चे के संपर्क में आने से अन्य बच्चों के इसकी चपेट में आने का खतरा बना रहता है।
दिल्ली-NCR में स्वाइन फ्लू की जांच के पुख्ता इंतजाम नहीं
दिल्ली एनसीआर में पिछले कई दिनों से स्वाइन फ्लू के मामले बढ़ते जा रहे हैं और इस बीमारी की वजह से मौत के मामलों में भी इजाफा हुआ है, पर स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है।
इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि दिल्ली में आठ सालों में स्वाइन फ्लू की जांच का पुख्ता इंतजाम नहीं हो सका है। मौजूदा समय में सिर्फ चार सरकारी संस्थानों में ही इसकी जांच की सुविधा है।
स्थिति यह है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज लक्षण के आधार पर ही हो रहा है। जांच की सुविधाएं सीमित होने के चलते जांच रिपोर्ट आने में तीन-चार दिन लग रहें हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में पहली बार स्वाइन फ्लू का संक्रमण देश में फैला था। तब दिल्ली में इस बीमारी से 149 लोगों की मौत हो गई थी।
इसके बाद हर एक-दो साल पर इस बीमारी का संक्रमण होता है। वर्ष 2015 में एम्स, केंद्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) व पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट में ही स्वाइन फ्लू की जांच की सुविधा थी।
इसके मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय ने सफदरजंग, आरएमएल व लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज में जांच शुरू करने का निर्देश दिया था।
दिल्ली सरकार के लोकनायक अस्पताल में भी इसकी जांच शुरू करने के लिए कहा गया था। सफदरजंग अस्पताल को छोड़ अन्य तीन अस्पतालों में अब तक जांच की सुविधा नहीं हो पाई।
स्वाइन फ्लू की जांच के लिए खास विशेषज्ञता की जरूरत होती है। यह भी तब जब आरएमएल स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए नोडल अस्पताल है।