शराबबंदी पर नीतीश का दावा खोखला
पटना। बिहार में शराबबंदी कानून को लागू हुए दो साल हो गए हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दावा है कि इस कानून से सबसे ज्यादा लाभान्वित एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग हुआ है लेकिन जेल अधिकारियों के मुताबिक इन समुदायों के लोगों पर इस कानून की मार सबसे ज्यादा पड़ी है। शराबबंदी कानून तोड़ने के मामले में जेलों में बंद कैदियों में दलित समुदाय और ओबीसी कैदियों की संख्या सबसे अधिक है। यह आंकड़ा अप्रैल 2016 के बाद बिहार की 8 केंद्रीय, 32 जिला और 17 छोटी जेलों से जुटाया गया है। मसलन जेलों में करीब 27.1 फीसदी एससी कैदी हैं जबकि राज्य में उनकी आबादी मात्र 16 फीसदी है. वहीं जेलों में बंद एसटी कैदी की संख्या 6.8 फीसदी है जबकि राज्य में उनकी आबादी मात्र 1.3 फीसदी है। ओबीसी के मामले में यह आंकड़ा 34.4 फीसदी है जबकि राज्य में उनकी आबादी 25 फीसदी है। जेल अधिकारियों के हवाले से कहा कि शराबबंदी को लेकर जेल में बंद कैदियों में 80 फीसदी नियमित तौर पर शराब पीने वाले हैं, जिन्हें बीते दो साल में पकड़ा गया।