बीते पल ना भूले मन
कहाँ कोई किसी को हमेशा याद रखता है।
साथ है जब तक,बस तभी तक हाथ मिलता है।।
ये कुछ लम्हे जिनका साथ आज तुझको मिलता है।
तपती धूप में कुछ पल बारिश में भीगने सा लगता है।।
चलते – चलते कभी भी किसी के पैर नही थकते है।
छुट जाता है जब किसी का साथ,ये तभी दुखते है।।
ना जाने बीते हुए पलो में कितने रिश्ते छूटते गए।
परेशां वही है,जिसके मन के पटल पर वो रुकते गए।।
हर अगले पल कोई पुराना दोस्त छूटता चला गया।
तेरा ही मन भावुक था , जो टूटता चला गया।।
नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).
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