झुग्गियों में बजती थी ढोंगी बाबा की मुरली, साल साल में खड़ा गया महल

नई दिल्ली । साल साल पहले झुग्गियों में बजने वाली ढोंगी बाबा की मुरली ऐसी बजी की दिल्‍ली में पूरा साम्राज्‍य खड़ा हो गया। वर्ष 2010 तक यह कथित विश्वविद्यालय सिर्फ एक मंजिल का था, लेकिन जैसे-जैसे महिला अनुयायियों की संख्या बढऩे लगी यहां निर्माण कार्य भी बढऩे लगे। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है बाबा का अवैध कार्य चलता रहा है दिल्‍ली प्रशासन मौन बना रहा।

लेकिन ढोंगी बाबा का खेल सात साल पहले शुरू हुआ। रोहिणी के समीप विजय विहार में तकरीबन 1200 गज के क्षेत्र में आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के आश्रम के नाम पर एक दशक पहले कुछ झुग्गियां थीं। इसी झुग्‍गी में बाबा की मुरली बजती थी। लेकिन आधे दशक में बाबा ने पूरा साम्राज्‍य खड़ा कर दिया। यहां झुग्‍गी में रहने वाले लोग भी बाबा के अनुयायी थे। इसके बाद झुग्गियों की जगह पक्का निर्माण शुरू हुआ।

स्थानीय लोगों के अनुसार गत सात वर्षों में यह पांच मंजिल का बन गया। कुछ वर्ष पहले चौथी मंजिल से दो युवतियों ने छलांग लगा दी, जिसमें एक की मौत हो गई और दूसरी गंभीर रूप से घायल हो गई थी। इस घटना के बाद पूरे परिसर में लोहे की ग्रिल लगाकर बंद कर दिया गया।

विजय विहार फेज एक के ए-पॉकेट में कुल सात प्लॉट पर पूरा निर्माण कार्य अवैध रूप से हुआ। निर्माण कार्य वर्षों तक चला, लेकिन इस बीच प्रशासन की तरफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। बिजली-पानी के कई कनेक्शन यहां चालू हैं।

विजय विहार में रहने वाली शालू अरोड़ा बताती हैं कि कथित विश्वविद्यालय में प्रत्येक रविवार को भक्त मुरली (आध्यात्मिक सत्संग) सुनने जाते थे। तब आसपास की कुछ महिलाएं जाती थीं, लेकिन उन्हें सिर्फ एक हॉल में ही जाने दिया जाता था।

किसी को परिसर में कहीं आने-जाने व किसी से बात करने की इजाजत नहीं थी। मुरली में किसी ने भी बाबा को नहीं देखा। बस वहां एक ऑडियो टेप चलाया जाता था।

उसे सुनने के बाद सब को बाहर निकाल दिया जाता था। एक अन्य महिला प्रवीण खन्ना बताती हैं कि वर्षों से यहां रहने के बावजूद किसी को भी दिन में घूमते-फिरते नहीं देखा, लेकिन देर रात चहलकदमी होती थी। चंडीगढ़ और फर्रुखाबाद से खाने-पीने की चीजें आती हैं।

धीरे-धीरे दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर कथित बाबा ने आश्रम बनाना शुरू किया। किसी के घर में तो किसी के फ्लैट में। कई ऐसे भी आश्रमों का पता चला है जो निजी फ्लैट में चलते हैं और उनमें महिलाओं की संख्या अधिक है।

यहां तक कि इसकी वेबसाइट पर भी स्पष्ट रूप से यह बात लिखी है कि इस विश्वविद्यालय से 80 फीसद महिलाएं जुड़ी हैं जबकि पुरुषों की संख्या 20 फीसद है। बताया जाता है कि कई हाईप्रोफाइल परिवारों तक वीरेंद्र की पहुंच थी।

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