दिल्ली के लोगों को गुमराह कर रही है ‘आप’ सरकार, भाजपा जाएगी सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली । दिल्ली में घुसने वाले ट्रकों से पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क (ईसीसी अथवा ग्रीन टैक्स) वसूलने के बाद भी दिल्ली की आबोहवा स्वच्छ बनाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। भाजपा इस मामले में दिल्ली सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करने की तैयारी कर रही है।
दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी एवं विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल सरकार सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था व प्रदूषण के मुद्दे पर दिल्लीवासियों को गुमराह करती रही है। समस्या हल करने के बजाय वह उपराज्यपाल से विवाद उत्पन्न करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करेगी भाजपा
दिल्ली प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ट्रकों से ईसीसी वसूलने के लिए दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग ने 20 अक्टूबर, 2015 को अधिसूचना जारी की थी। प्रत्येक तीन माह पर कोर्ट को इसका हिसाब भी देना था। इस पैसे का उपयोग सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त करने और सड़कों की सफाई करने व उसमें सुधार के लिए करना था। सरकार ने न अदालत को कोई हिसाब दिया और न ही सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए कोई कदम उठाया। इसलिए भाजपा दिल्ली सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करेगी।
निजी हाथों में दिल्ली बस सेवा
भाजपा नेताओं ने कहा कि केजरीवाल सरकार दिल्ली में बस सेवा को निजी हाथों में सौंपना चाहती थी, लेकिन भाजपा के विरोध की वजह से सफल नहीं हुई। सरकार आज तक दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के लिए एक भी बस नहीं खरीद सकी है। पहले से चल रही बसों की संख्या भी कम हो गई है।
डीटीसी कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। दिल्ली देहात के चार बस डिपो घुम्मनहेड़ा, दिचाऊ कला, नरेला, बवाना में लगभग 1500 बसें खड़ी करने का स्थान है, लेकिन वहां पर 163 बसें ही खड़ी हो रही हैं।
जनता का ध्यान भटकाना चाहती है दिल्ली सरकार
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि डीटीसी व क्लस्टर को मिलाकर इस समय लगभग 5,500 बसे हैं, जबकि सरकार के पास 260 एकड़ क्षेत्र में 7,500 बसें खड़ी करने की जगह है। इसके अलावा दिल्ली विकास प्राधिकरण दिल्ली सरकार को बस डिपो के लिए रोहिणी में 32 एकड़ भूमि दे रहा है।
रानी खेड़ा में भी पार्किंग के लिए जमीन है। इन स्थानों पर दो हजार और बसें खड़ी की जा सकती हैं। इसके बावजूद सरकार बसें नहीं खरीद रही है। इसके बजाय वह बस डिपो उपलब्ध नहीं होने और 132 एकड़ भूमि की मांग कर दिल्लीवासियों को गुमराह कर रही है। ऐसा कर वह जनता का ध्यान प्रदूषण की समस्या से भटकाना चाहती है।