आईआईटी-रुड़की में नैशनल सोशल समिट कार्यक्रम आयोजित
रुड़की, । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने अपने सालाना प्रमुख इवेंट ‘नैशनल सोसल समिट 2021’ का उद्घाटन किया। उद्घाटन इवेंट में कई प्रख्यात गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे, जिनमें डाॅ. रोडरिको ओफ्रिन (भारत के लिए डब्ल्यूएचओ प्रतिनिधि), डाॅ. रमन गंगाखेडकर (आईसीएमआर के पूर्व उप-निदेषक), डाॅ. रणदीप गुलेरिया (एम्स-दिल्ली के निदेषक) और प्रो. अजीत के चतुर्वेदी (आईआईटी रुड़की में निदेशक) मुख्य रूप से शामिल थे। इस साल के इवेंट का थीम देश की मौजूदा सामाजिक-चिकित्सकीय समस्याओं के निदान के लिए नए समाधानों के विकास एवं पेशकश, अपने प्रमुख स्वास्थ्य कर्मियों के प्रति सम्मान जताने और सामाजिक उत्साहियों का समुदाय तैयार करने के साथ ‘इन्वीजनिंग बेटर हेल्थकेयर इवोल्यूशन’ के तौर पर बरकरार रखना है। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, ‘मैं इसे लेकर उत्साहित हूं कि इस साल के सोषल समिट के लिए आईआईटी रुड़की में एनएसएस टीम कोविड-19 पर केंद्रित थीम के साथ आगे आई है। रक्त दान और सड़क सुरक्षा अभियानों के अलावा, सालाना सोषल समिट ने एनएसएस के एनुअल कैलेंडर में खास पहचान बनाई है। इसमें वक्ताओं की सूची वाकई प्रभावषाली है और मैं इसे लेकर आश्वस्त हूं कि यह हमारे छात्रों और फैकल्टी के लिए बेहद उपयोगी होगा।’ इस साल इवेंट यूनेस्को और नीति आयोग के संरक्षण में और भारत के लिए नॉलेज एवं टेक्नीकल पार्टनर के तौर पर डब्ल्यूएचओ कंट्री ऑफिस, फैमिली प्लानिंग एसोसिएषन ऑफ इंडिया (एफपीएआई), इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और सेंटर फॉर डिजीज डायनेमिक्स, इक्वनोमिक्स एंड पॉलिसी (सीडीडीईपी) की भागीदारी में आयोजित किया जा रहा है। भारत के लिए डब्ल्यूएचओ प्रतिनिधि डाॅ. रोडरिको ओफ्रिन ने कहा, ‘नैषनल सोषल समिट 2021 जैसी पहलों ने स्वास्थ्य, उससे संबंधित चुनौतियों, समानता और संभव समाधानों पर जोर दिया है। समानता की गहन भावना सार्वजनिक स्वास्थ्य की मुख्य वैल्यू है और नाॅलेज पार्टनर के तौर पर एनएसएस आईआईटी रुड़की के साथ डब्ल्यूएचओ-इंडिया की भागीदारी बेहतर हेल्थकेयर बदलाव को बढ़ावा देगी।’एम्स दिल्ली के निदेषक डाॅ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, ‘मैं नैषनल सोषल समिट 2021 के आयोजन के लिए आईआईटी रुड़की को बधाई देता हूं। यह कई दिग्गजों की उपस्थिति वाला एक भव्य आयोजन है। यह कार्यक्रम कोविड के बाद बेहतर स्वास्थ्य पर जोर दे रहा है, जो बेहद जरूरी हो गया है और यह बेहद आवष्यक है कि हमें पिछले अनुभवों को नहीं भूलना चाहिए।’