मनी माइंड : धंधे की चिंता में निजी स्कूलों को डिजिटल तकनीक याद आई

देहरादून, । कोरोना के खतरे का सामना करने को पूरा तंत्र सांस थामकर लगा हुआ है। ऐसे नाजुक मौके पर भी अंग्रेजी माध्यम निजी स्कूल मनी माइंड से उबर नहीं पाए। लॉकडाउन की वजह से सिर्फ स्कूल ही नहीं, हरेक धंधा बंद है। बैंक भी बंद, एटीएम भी बेहद सीमित वक्त के लिए खुल रहे। सरकार का पूरा जोर सोशल डिस्टेंसिंग पर है। काम कोई भी हो, कितना जरूरी हो, अभी सिर्फ कोरोना को हराना है। इसके बावजूद धंधे की चिंता में निजी स्कूलों को डिजिटल तकनीक याद आई। तुरंत ऑनलाइन फीस जमा कराने का फरमान अभिभावकों के स्मार्ट फोन पर चस्पा कर दिया। बात जब बच्चों की होती है तो अभिभावक बैकफुट पर होते हैं। जब सबकी जान पर आन पड़ी हो, ऐसे मौके पर भी मनोवैज्ञानिक दबाव की चतुराई। यह दीगर बात है कि चतुराई काम नहीं आई। सरकार को पता चला तो फीस वसूली पर रोक लगा दी।शिक्षा वहीं जो हर परिस्थिति में जीने का तरीका सिखाए। कोरोना महामारी से बचने की जंग में स्कूलों में ताले लटके हैं। पठन-पाठन ठप। इस चिंता में भागीदार होते हुए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रलय ऑनलाइन पढ़ाई के फामरूले में रुचि दिखा रहा है। निजी स्कूलों में ललक जगी है। लिहाजा छात्रों को ऑनलाइन असाइनमेंट भेजे जा रहे हैं। इसके साथ ही कई वेबसाइट का हवाला देते हुए छात्रों को उनसे भी पढ़ाई में लाभ लेने के उपाय सुझाए गए हैं। जमाना प्रतिस्पर्धा का है। ऐसे में असाइनमेंट पर बच्चे और अभिभावक टूट पड़े हैं। ऑनलाइन किताबों और पढ़ाई का चलन और जोर पकड़ा है। दूसरी ओर सरकारी विद्यालय हैं। प्राथमिक हो, उच्च प्राथमिक हो या माध्यमिक विद्यालय, सब जगह अजीब सी शांति। छात्र पढ़ें या न पढ़ें, ऑनलाइन पढ़ाई की तरकीब सुझाने की कोई गर्ज नहीं। भूले से भी सुध लेने को कहा तो फिर साधनों की कमी पर रुदाली शुरू।

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