MODIfied100: पानी की किल्लत और लगातार बढ़ रही भुखमरी पर कब विचार करेगी सरकार
नई दिल्ली। चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। सपंर्क तब टूटा जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। ऐसे में इसरो के वैज्ञानिक पूरी तरह से भावुक हो गए। लेकिन वहां पर मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका हौसला बढ़ाया और गले लगाकर भावुक इसरो प्रमुख के. सिवन को आगे बढ़ने और सपने को साकार करने का जज्बा दिया। यह उस वक्त हो रहा था जब नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे कर लिए थे। लेकिन इन 100 दिनों में सरकार के समक्ष भी कुछ कम चुनौतियां नहीं थीं। एक तरफ उत्तर और दक्षिण भारत में बाढ़ जैसे हालात बने हुए थे तो दूसरी तरफ पानी सतह से और नीचे जाता हुआ प्रतीत हो रहा था।हाल ही में आई विश्व संसाधन संस्थान की एक रिपोर्ट एक्वाडक्ट वॉटर रिस्क एटलस के मुताबिक भारत उन 17 देशों में शुमार है, जो गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। इस सूची में भारत का 13वां स्थान है। इस रिपोर्ट ने अंदेशा ताया है कि सूची में शामिल देशों में पानी समाप्त होने की कगार पर आ चुका है।हमने हमेशा से यही पढ़ा और जाना है कि ‘जल ही जीवन है’ लेकिन सोचिए अगर जल ही न रहे तो जीवन का क्या होगा। ठीक यही हालात आज हमारे मुल्क हिन्दुस्तान के हैं। क्योंकि मानव जीवन पर यह एक संकट के तौर पर मंडरा रहा है। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस बात का आभास हो गया है तभी तो स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश के नाम संबोधन देते वक्त उन्होंने ‘जल जीवन मिशन’ का ऐलान किया और फिर कहा कि 3.5 लाख करोड़ से भी ज़्यादा रकम इस मिशन के लिए खर्च करने की योजना है। सरकार ने योजना तो लॉन्च कर दी लेकिन क्या वह सफल हो पाएगी यह एक बड़ा सवाल है। क्योंकि भारत आज तक के इतिहास में सबसे खराब जल संकट की समस्या से जूझ रहा है। नीति आयोग के मुताबिक साल 2021 तक देश के 21 शहरों से पानी समाप्त हो जाएगा। इनमें से सबसे ज्यादा खतरा 11 शहरों में मंडरा रहा है। जिनमें दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, नासिक, जयपुर, अहमदाबाद और इंदौर जैसे शहर शामिल हैं।