मैक्सी कैब संचालकों का सरकार के खिलाफ हल्लाबोल
शीघ्र ही समस्याओं का निदान नहीं किया गया तो आंदोलन को तेज किया जायेगा
देहरादून, ।अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कैब, टैक्सी वर्कर्स यूनियन उत्तराखंड ने प्रदर्शन करते हुए अनिश्चितकालीन धरना आज भी जारी रहा और उनका कहना है कि शीघ्र ही समस्याओं का निदान नहीं किया गया तो आंदोलन को तेज किया जायेगा। उनका कहना है कि केवल एक माह के लिए स्पीड गवर्नर की छूट दी है और अन्य मांगों पर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
यहां यूनियन से जुड़े हुए संचालक परेड ग्राउंड स्थित धरनास्थल में इकटठा हुए और अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आरटीओ कार्यालय पर प्रदर्शन किया और धरने पर बैठ गये। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान में मैक्सी कैब, टैक्सी आदि वाहनों पर वाहन फिटनेस के समय पर लगाये जाने वाला स्पीड गवर्नर की बाध्यता को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाना चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि लगातार संघर्ष करने के बावजूद आज तक समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।वक्ताओं का कहना है कि यह उपकरण पहाड़ों में लागू नहीं होना चाहिए और पहाडों पर मोड ही मोड है जिसकी वजह से वाहन स्पीड 40-50 किमी से अधिक नहीं होती है। उत्तराखंड राज्य में संचालित होने वाले सभी वाहन मैक्सी कैब, टैक्सी की फिटनेश की अविध कम से कम एक वर्ष होनी चाहिए। वाहन स्वामी से परमिट नवीनीकरण के समय लॉग बुक न भरे जाने के नाम पर, दंड धनराशि की वसूली रोकी जाये। वक्ताओं का कहना है कि मैक्सी कैब, टैक्सी के लैग गार्ड आदि को यथावत रखा जाये और नवीनकरण के समय वाहन स्वामी, चालक से भुगते गये चालानों के भुगतान पर रोक लगाई जाये।
वक्ताओं का कहना है कि पर्वतीय मार्गों पर बारह महीने चलने वाले सभी वाहनों हेतु ग्रीन कार्ड की अनिवार्यता के नाम पर अवैध वसूली रोकी जाये और वाहनों का यात्री कर बिना सरचार्ज के जमा करने की सुविधा प्रदान की जाये। उनका कहना है कि पहाडी मार्गों पर चलने वाली मैक्सी कैब टैक्सी वाहन में जनहित को देखते हुए सभी सीटों को सामने की ओर मुंह वाली सीटों की अनिवार्यता को समाप्त किया जाये। उनका कहना है कि लगातार संघर्ष करने के बाद भी समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है जो चिंता का विषय है।
उनका कहना है कि वाहन स्वामी एवं चालकों का विभाग द्वारा किये जा रहे उत्पीड़न को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाये। उनका कहना है कि इस अनिश्चितकालीन धरने को समस्याओं के समाधान होने तक जारी रखा जायेगा। उनका कहना है कि अब आर पार का आंदोलन चलाया जायेगा। अवसर पर मोटर वाहन अधिनियम संशोधित विधेयक को वापस लिये जाने की मांग की गई अन्यथा आंदोलन किया जायेगा।
उनका कहना है कि स्थानीय स्तर पर परिवहन विभाग के द्वारा सभी तरह के वाहन चालक एवं स्वामियों से लूट खसोट के उत्पीडन के विरूद्ध आंदोलन खडा करना है और सरकार को भी इस दिशा में ठोस कार्यवाही करने की जरूरत है। उनका कहना है कि यातायात उद्योग और सड़क परिवहन मजदूरों की रक्षा के लिए उचित कानून बनाया जाये और सड़क परिवहन मंत्रालय की अधिसूचना 29 दिसम्बर 16 शुल्कों में वृद्धि को वापस लिया जाये और पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाया जाये और गिरावट की भरपाई राज्य सरकारों से की जाये।
उनका कहना है कि पूर्व निर्मित बसां पर जीएसटी दर कम की जाये और तृतीय पक्षीय बीमा प्रीमियम को भी कम किया जाये। सड़क परिवहन के सभी हितधारकों की सुरक्षा की जाये और असंगठित परिवहन मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी 24 हजार तय की जाये और असंगठित सड़क परिवहन मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा अधिनियम बनाये जाये। उचित राष्ट्रीय परिवहन नीति अपनाई जाये। उनका कहना है कि सभी प्रकार के ड्राइवरों को श्रम विभाग के रिकार्डस में पंजीकृत किया जाये और मोटर वाहन अधिनियम 1988 में वाहन चलन के लिए समूहकों का कोई प्रावधान नहीं था और इस सशोधित विधेयक में क्लाज 34 के सेक्शन 93 ें समूहकों का प्रावधान किया है। इस अवसर पर धरने व प्रदर्शन में यूनियन अध्यक्ष शेर सिंह राणा, महामंत्री लेखराज, उपाध्यक्ष महेन्द्र सामवेदी, प्रदीप चौधरी, मुकेश कुमार, महेन्द्र सिंह सहित अनेक कार्यकर्ता मौजूद थे।