शहीद मेजर के पिता बोले, आर-पार की जंग का हुक्म दें हुक्मरान
हल्द्वानी : सेना से रिटायर्ड हवलदार मोहन चंद्र पांडे का मजबूत जिगर नौकरी सेवानिवृत्ति के बाद भी कमजोर नहीं पड़ा है। जवान बेटे मेजर कमलेश पांडे की शहादत के बावजूद वह खुद को मजबूत कर परिवार के अन्य लोगों को हिम्मत बंधा रहे थे। मोहन चंद्र बोले, मुझे अपने बेटे की शहादत पर नाज है, लेकिन अब समय आ गया है, जब नेता राजनीति छोड़कर आरपार की जंग का आदेश दे दें। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि हमारी सेना दुश्मनों पर भारी पड़ेगी।
अपनी सेवा के 26 साल याद करते हुए मोहन ने कहा कि मेरे बेटे ने शहादत देकर देश के प्रति अपना फर्ज और धर्म निभाया है। अब देश में 1971 की तरह युद्ध जरूरी है। जब तक देश के नेता फौज को हुक्म नहीं देंगे, बेगुनाह जवान मारे जाएंगे।
आतंकवादी तो आते ही मरने के लिए हैं। उनका मकसद अशांति फैलाकर निर्दोषों को मारना होता है, लेकिन हमारे सैनिक देश और देशवासियों की रक्षा के लिए मारे जा रहे हैं।
देश सेवा को समर्पित परिवार
मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के ग्राम दिगोली, बाड़ेछीना के निवासी मोहन चंद्र पांडे का पूरा परिवार देश सेवा के लिए समर्पित है। वह खुद सेना में रहकर हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। बड़ा बेटा कमलेश सेना में मेजर था, जबकि छोटा बेटा धीरेश पांडे आर्मी पोस्टल सर्विस में वारंट अफसर हैं और वर्तमान में मेरठ में तैनात हैं। मोहन चंद्र की सबसे बड़ी बेटी बीना पंत विवाहित हैं और ऊंचापुल में ही परिवार के साथ रहती हैं।