लॉकडाउन: कुषोषण की तलवार लटकी प्रदेश के नौनीहालों पर
देहरादून। राज्य में पिछले डेढ माह में राज्य में बीते डेढ़ महीने से राज्य में 22 हजार से अधिक आंगनबाडी केंद्र बंद होने के चलते यहां पंजीकृत पौने दो लाख बच्चों को पौष्टिक दूध वितरित नहीं हो पा रहा है। इस कारण पहले से ही कुपोषित राज्य के 18 हजार से अधिक बच्चों के सामने संकट खड़ा हो गया है। बीते डेढ़ महीने से इन बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण भी नहीं हो पा रहा है।राज्य में आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत छह साल से कम उम्र के बच्चों को महिला बाल विकास विभाग हफ्ते में छह दिन पका पकाया भोजन, केला, अंडा देने के साथ ही फ्लेवर्ड दूध भी उपलब्ध कराता है। केंद्रों पर इन बच्चों की नियमित वजन, लंबाई की जांच कर पोषण की प्रगति देखी जाती है। लेकिन राज्य में 15 मार्च से सभी आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं। विभाग ने पका पकाया भोजन की जगह घर पर कच्चा राशन उपलब्ध करा रहा है । लेकिन दूध देने का इंतजाम नई व्यवस्था में नहीं हो पा रहा है। नहीं बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण हो रहा है। इसी तरह केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं की गोदभराई कार्यक्रम आयोजित नहीं हो पा रहा है।