पति की हत्या में पत्नी-प्रेमी सहित तीन को उम्रकैद
देहरादून : वर्ष 2007 में ग्राम चिडियों, डाकपत्थर में हुई एक व्यक्ति की हत्या के मामले में एडीजे पंचम की कोर्ट ने मृतक की पत्नी, उसके प्रेमी और एक अन्य व्यक्ति को दोषी करार देते हुए तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही दोषियों पर 50-50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है।
जुर्माना अदा न करने पर दोषियों को एक साल अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। मामले में पत्नी ने अपने प्रेमी और एक अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर पति की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी और शव को बोरे में बांधकर शक्ति नहर में फेंक दिया था। घटना के एक हफ्ते बाद पुलिस ने शव को शक्तिनहर से बरामद किया था। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने 27 गवाह पेश किए थे।
जानकारी के मुताबिक, 26 मार्च 2007 को रूपराम पुत्र स्वर्गीय रतीराम निवासी ग्राम चिडिय़ों, डाकपत्थर ने कोतवाली विकासनगर में अपने पुत्र प्रदीप कुमार के अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया था। पीडि़त की ओर से प्रदीप की पत्नी बाला देवी, मोहर सिंह उर्फ मोहन सिंह निवासी बनगांव, नैनबाग, टिहरी और सिकंदर उर्फ छोटू निवासी माजरा, थाना भगवानपुर, जिला हरिद्वार को आरोपी बनाया था।
मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने प्रदीप की तलाश शुरू की तो 29 मार्च 2007 को प्रदीप (24) का शव पुल नंबर एक नवाबगढ, शक्तिनहर से बरामद हुआ था। शव को कुल्हाड़ी से काटकर बोरे में बांधकर शक्ति नहर में फेंका गया था। शव की शिनाख्त मृतक प्रदीप के पिता रूप राम ने की। विवेचना के दौरान प्रकाश में आया कि मृतक की पत्नी बाला देवी और मोहर सिंह के बीच प्रेम प्रसंग था।
इसी के चलते दोनों ने प्रदीप की हत्या की योजना बनाई और सिकंदर उर्फ छोटू जो कि डाकपत्थर में जूस की ठेली लगाता था और मोहर सिंह का दोस्त था, को भी शामिल कर लिया। तीनों ने मिलकर 23 मार्च 2007 को प्रदीप की हत्या की। उन्हें चार अप्रैल 2007 को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया था।
गुरुवार को इस मामले में एडीजे पंचम विनोद कुमार की अदालत में अंतिम सुनवाई हुई। मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 27 गवाह पेश किए। दोनों पक्षों की बहस के बाद कोर्ट ने तीनों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई।