उत्तराखंड के सरकारी महकमों में जीपीएफ भुगतान में बड़ी अनियमितताएं
देहरादून : राज्य के सरकारी महकमों में जीपीएफ भुगतान में बड़े पैमाने पर अनियमितता पकड़ी गई हैं। नियमों को ताक पर रखकर महकमों ने 143.12 लाख से ज्यादा जीपीएफ का भुगतान कर दिया। अनियमितता पकड़ में आने के बाद शासन ने सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिवों को जीपीएफ के अधिक भुगतान की वसूली के निर्देश दिए हैं। अन्य साधनों से वसूली नहीं होने की स्थिति में संपत्ति कुर्क की जाएगी। कुल 34 महकमों में अधिक भुगतान के 147 मामलों के लिए जिम्मेदार आहरण वितरण अधिकारियों का जवाब तलब होगा।
वित्त सचिव अमित नेगी की ओर से जारी आदेश में जीपीएफ के अधिक भुगतान के प्रकरणों में नियंत्रण नहीं होने पर चिंता जताई गई है। साथ ही इस मामले में ऋणात्मक प्रकरणों को शासन ने अधिक गंभीरता से लेते हुए महकमों को हिदायत भी दी है। भुगतान में सर्वाधिक दरियादिली विद्यालयी शिक्षा, स्वास्थ्य एवं लोक निर्माण विभाग व ग्राम्य विकास ने दिखाई है।
आदेश में कहा गया कि वर्ष 2005-06 से 2009-10 में कई प्रकरणों में जीपीएफ का 28.89 लाख अधिक भुगतान किया गया। वर्ष 2010-11 से 2017-18 में ऐसे प्रकरणों में 114.24 लाख धनराशि अधिक दी गई। शासन ने आहरण वितरण अधिकारियों की ओर से अग्रिम भुगतान में सावधानी नहीं बरतने पर चिंता जाहिर की है।
जीपीएफ पासबुक व लेजर के उचित रखरखाव को लेकर संबंधित विभागीय अधिकारियों एवं आहरण वितरण अधिकारियों के नजरिए को गैर जिम्मेदाराना करार दिया गया है। आश्चर्यजनक ये है कि विभागाध्यक्षों ने भी इस मामले में मॉनीटरिंग की जरूरत महसूस नहीं की।
शासनादेश में जीपीएफ की अधिक भुगतान की गई धनराशि की ब्याज समेत वसूली करने के निर्देश दिए गए हैं। वित्त सचिव ने ऐसे सभी प्रकरणों की विभागीय स्तर पर जांच कर आहरण वितरण अधिकारियों की लापरवाही के कारणों को सामने लाने और उन्हें जिम्मेदार ठहराने को कहा गया है। इस संबंध में 15 दिन में रिपोर्ट मांगी गई है।
इन महकमों में दी गई ज्यादा धनराशि
विद्यालयी शिक्षा निदेशक-13 प्रकरण व 24.46 लाख, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक-14 प्रकरण व 21.49 लाख, मुख्य अभियंता लोनिवि-16 प्रकरण व 18.95 लाख, ग्राम्य विकास-नौ प्रकरण व 10.22 लाख, मुख्य राजस्व आयुक्त-19 प्रकरण व 9.93 लाख, मुख्य अभियंता सिंचाई-18 प्रकरण व 8.93 लाख, निदेशक प्रशिक्षण-चार प्रकरण व 8.57 लाख, मुख्य वन संरक्षक-नौ प्रकरण व 5.68 लाख, निदेशक उच्च शिक्षा-तीन प्रकरण व 5.01 लाख।
ये महकमे भी हैं शामिल
इसके अलावा समाज कल्याण, पुलिस महानिदेशक, सचिवालय प्रशासन-ईरला, न्याय, होम्योपैथिक महानिदेशक, उद्यान, तकनीकी शिक्षा, राजकीय मुद्रणालय, आबकारी, राज्य संपत्ति, निर्वाचन, गन्ना व चीनी, निदेशक समन्वित बाल विकास सेवाएं, निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म इकाई, निदेशक स्थापना व पुनर्वास, निदेशक पशुपालन, निबंधक सहकारी समितियां, निदेशक आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं, निदेशक पंचायती राज, आयुक्त डेयरी विकास, मुख्य अभियंता लघु सिंचाई, आयुक्त खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति।