धर्म संस्कृति के विकास का आधार है कुंभ : सरस्वती
ऋषिकेश, । योग भूमि पावन गंगा तट पर आज हरिद्वार कुंभ 2021 को लेकर कुंभ कांक्लेव का शुभारंभ परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश में किया गया । उद्घाटन सत्र का शुभारंभ करते हुए परमार्थ परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि कुंभ वस्तुतः धर्म संस्कृति के विकास का आधार है। पर्यावरण, नदी, जल संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों को बनाए रखने का संत, समाज और व्यवस्था का संकल्प है कुंभ । हमें आज के परिपेक्ष में इस पर सोचकर चिंतित नहीं होना कि हमने क्या खोया अपितु क्या बचा है वह किसी से कम नहीं है इस सकारात्मकता के साथ भारतीय संस्कृति का संरक्षण करना है, उसको सम्भाल कर र£ना है अपने प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित करना है, संस्कृति को पुनस्र्थापित करना है और ऋषि प्रदत्त लाखों वर्ष की शोधित जीवन शैली से, मानव मूल्यों से, संसार को जीवंत बनाए रखना है। नदी जल को संरक्षित नहीं किया तो कुंभ का आधार नदियां ही समाप्त हो जाएगी। उद्घाटन सत्र में बोलते हुए जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर परम पूज्य स्वामी श्री अवधेशानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि कुंभ नदियों के किनारों पर ही होता है। प्रयाग में संगम पर मकरस्थ कुंभ, उज्जेन में सिंहस्थ कुंभ लेकिन हरिद्वार में कुंभस्त कुंभ होता है यानि जब बृहस्पति कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं तब हरिद्वार के कुंभ की नक्षत्र तिथि आती है। उन्होंने कहा कि मानव ने प्राकृतिक संसाधनों का इतना दोहन कर डाला कि इस बार सिंहस्थ कुंभ क्षिप्रा के जल से नहीं अपितु नर्मदा मैया के जल से संपन्न हुआ । ऐसा न हो कि कल शिप्रा की भांति, सरस्वती की भाति गंगा, जमुना भी लुप्त हो जाएं और कुंभ का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाए। इसलिए आज नदियों के किनारों पर ऐसे वृक्षों का रोपण करना चाहिए जो जल संग्रहण कर सके । उन नदियों को पुनर्जीवित कर सके, उनमें जल की निरंतरता बनी रह सके। वृक्ष होंगे तो वर्षा होगी और वर्षा से ही नदी जीवंत रहेगी । देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर चिन्मय पांडे ने कहा कि गायत्री और यज्ञ का मूल कार्य प्रकर्ति और पर्यावरण का संरक्षण ही है। हमारे जीवन मूल्यों का आधार यज्ञीय आचरण ही है यानि देने की प्रवृत्ति। प्रकृति हमें देती है लेकिन प्रकृति को हम क्या दे रहे हैं, यह सोच का विषय है। आज भौतिक प्रदूषण से लेकर मानसिक प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि मनुष्य को बने रहना दूभर हो गया है। यज्ञ से पर्यावरण और गायत्री से मानसिक प्रदूषण दूर किया जा सकता है । कुंभ कान्क्लेव जैसे कार्यक्रम भारतीय संस्कृति के प्रति जागरुकता का अच्छा उपाय है। इंडिया थींक कौंसिल के संयोजक सौरभ पांडे ने बताया कि कुंभ कान्क्लेव का आयोजन प्रयाग के बाद ऋषिकेश में किया जा रहा है जिसमें 2019 प्रयाग कुंभ और 2021 हरिद्वार कुंभ का रिव्यू किया जाएगा। साथ ही संत, समाज और विशेषज्ञों के माध्यम से जागरुकता और जागरण का विशेष कार्य किया जाएगा। आज के कार्यक्रम में ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती संजीव कुमार शर्मा, कुलपति महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, संजय पासवान, कपिल मिश्रा और अन्य गणमान्य की उपस्थिति रही। ऋषिकेश और देहरादून से कई प्रबुद्ध जन जनों के साथ साथ निर्मल पंचायती अखाड़े से संत ओंकार सिंह महाराज, आलोक पांडे और दिल्ली से लोकेश शर्मा, अजय पवार भी उपस्थित रहे।