विरासत में कथक नृत्यांगना शिखा शर्मा ने दी खूबसूरत प्रस्तुतियां
देहरादून, । विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल के चौथे दिन की शुरुआत ’विरासत साधना’ कार्यक्रम के साथ हुआ। विरासत साधना कार्यक्रम के अंतर्गत देहरादून के 13 स्कूलों ने प्रतिभाग किया जिसमें कुल 18 बच्चों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित प्रस्तुति दी। गायन में बच्चों ने भारत के लोकप्रिय राग पर अपनी प्रस्तुति दी, वही कुछ छात्र-छात्राओं ने भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुड़ी प्रस्तुत किया। वाद्य यंत्र पर तबला, हारमोनियम एवं सितार पर भी बच्चों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियां दी। विरासत साधना में प्रतिभाग करने वाले स्कूलों में राजा राममोहन राय अकैडमी, सेंट जोसेफ अकैडमी, दून इंटरनेशनल स्कूल, फलीफोट पब्लिक स्कूल, वेल्हम गर्ल्स स्कूल, हिम ज्योति स्कूल, घुंघुरु कत्थक संगीत महाविद्यालय, समर वैली स्कूल, न्यू दून ब्लॉसम स्कूल, गुरु राम राय पब्लिक स्कूल, तरुण संगीत एवं विचार मंच, शेमरॉक नकरौधां, एवं सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल शामिल थे।सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ एवं कथक नृत्यांगना शिखा शर्मा ने अपनी खूबसूरत प्रस्तुतियां दी। बताते चले कि नृत्यांगना शिखा शर्मा गुरु रानी खानम की छात्रा हैं, जो एक वरिष्ठ नर्तकी और गुरु हैं। उन्होंने खैरागढ़ विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ से मास्टर डिग्री प्राप्त करने के साथ-साथ भातखंडे, विशारद एवं प्रवीण जैसे विद्या भी भारत के जाने माने विश्वविद्यालय से प्राप्त कि है। नृत्यांगना शिखा शर्मा भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कतर उत्सव युएई, यूरोप, ताइवान, रूस जैसे देशों में भी अपनी नृत्य से लोगों को मंत्रमुग्ध किया है। वही सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्य प्रस्तुतियों में रामचंद्र गंगोलिस जी द्वारा कबीर ज्ञान कि प्रस्तुतियां हुई जिसमें उन्होंने अमर सूफी कबीर वाणी, दोहा, भजन सुनायां। धन तेरी करतार कला का, मत कर मया को अहंकार, सुनो हमारे प्रित जेसे लोकगीत सुनाया। रामचंद्र गंगोलिस जी एक प्रसिद्ध कलाकार हैं जो भारतीय साहित्य और संगीत के साथ-साथ निर्गुण संप्रदाय के आचार्यों की रचनाओं को गाने के लिए जाने जाते हैं।