दून के इन सतायु ने देखा ब्रिटिशर्स का पतन और भारत का उदय
डोर्इवाला : 15 अगस्त 2017 को भारत आजादी की 70वीं वर्षगांठ मनाएगा। उस आजादी की, जिसे पाने के लिए कर्इ वीरों ने अपने प्राणों की कुर्बानी दी थी। आजादी के उसी संघर्षों को देहरादून के इन सतायु ने अपनी आंखों से देखा था। उनकी आंखों में खुशी थी आजद भारत की। क्योंकि यह ब्रिटिशर्स के अत्याचारों को देखते हुए बड़े हुए। आज वो बेहद खुश हैं क्योंकि आजाद भारत के साथ वह भी आजादी का जश्न मनाने जा रहे हैं।
आज हम आपको बता रहे हैं, देहरादून जिले के डोर्इवाला के करण सिंह के बारे में। करण सिंह का जन्म 12 अगस्त 1912 में हुआ था। यह वह दौर था जब भारत की राजधानी दिल्ली को बनाया गया था। इससे पहले कोलकाता भारत की राजधानी हुआ करती थी। यह वह दौर भी था जब भारत ब्रिटिशर्स का गुलाम था। करण ने उस दौर की मुसीबतों, अत्याचारों को सामने से देखा था और झेला था। वह आज भी उस मंजर को भुला नहीं पाए हैं। उनकी इन बूढ़ी आंखों में एक खुशी है और वह खुशी है भारत की आजादी के सत्तर साल पूरे होने की है।
डोर्इवाला के चांदमारी निवासी वयोवृद्ध करण सिंह ने आजादी के जश्न से पहले अपने 104 साल पूरे होने का जश्न मनाया। उन्होंने अपने परिवार के साथ अपना 105वां जन्मदिन बड़ी ही धूमधाम से मनाया। जन्मदिन के इस मौके पर परिजनों ने केक काटकर उनको बधाई दी। उनकी धर्मपत्नी भजन कौर(96 वर्ष) भी उनकी इस खुशी में उनके साथ हैं।
करण की आंखों में इस खुशी को साफ देखा जा सकता है कि वह उस दौर के भयावह दौर से निकलकर आज खुली हवा में सांस ले रहे हैं। उन्हें गर्व है कि वह आजाद भारत के सपने को साकार होता देखने का गवाह बने।