कल्पेश्वर तीर्थः इस मंदिर के कपाट ग्रहण काल में भी नहीं होते बंद
गोपेश्वर, । ग्रहण के दौरान सभी मंदिरों को बंद रखा जाता है, लेकिन उत्तराखंड का एक ऐसा भी मंदिर है जिसे ग्रहण के दौरान बंद नहीं किया जाता है। चमोली जिले के उर्गम घाटी में कल्पेश्वर तीर्थ एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसका कपाट किसी भी ग्रहण काल में बंद नहीं होता, यह परंपरा पौराणिक काल से सतत चली आ रही है। 24 घंटे यह मंदिर खुला रहता है और कभी भी इस मंदिर के गर्भगृह में ताला नहीं लगाया जाता है। मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव के जटा भाग होने के चलते ताला नहीं लगाया जाता है, क्योंकि शिव के जटाओं से गंगा को रोका जाता है। इसलिए ग्रहण काल में भी ये मंदिर खुला रहता है। शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान शिव ने जटाओं से मां गंगा को रोका था। इसलिए यहां कपाट बंद नहीं होते। समुद्र मंथन के दौरान यहीं पर देवताओं और दानवों की बैठक हुई थी। ग्रहण के दौरान आज भी कल्पेश्वर मंदिर बंद नहीं है। मंगलवार को सूर्य ग्रहण के दिन बदरीनाथ, केदारनाथ सहित चारों धाम के मंदिर बंद किए गए हैं। पंचांग गणना के अनुसार 25 अक्टूबर मंगलवार प्रातरू चार बजकर 26 मिनट से शाम पांच बजकर 32 मिनट ग्रहणकाल में मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे।