कैलाश अस्पताल ने दुनिया के सबसे छोटे हृदय पेसमेकर का सफल प्रत्यारोपण कर रचा इतिहास
कैलाश अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डा. राज प्रताप सिंह, डॉ. अखिलेश पांडे, डॉ. एसपी गौतम, डॉ. केजी शर्मा और सर्जरी टीम ने इस सर्जरी को सफल बनाया ।
देहरादून, । देहरादून के कैलाश अस्पताल और हृदय संस्थान ने दुनिया के सबसे छोटे पेसमेकर को रोगी के दिल में प्रत्यारोपित करके कीर्तिमान स्थापित किया है। लीडलेस पेसमेकर दुनिया में सबसे उन्नत पेसिंग तकनीक वाला एक छोटा हार्ट डिवाइस है। अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डा. राज प्रताप सिंह, डॉ. अखिलेश पांडे, डॉ. एसपी गौतम, डॉ. केजी शर्मा और सर्जरी टीम ने इस सर्जरी को सफल बनाया। यह पेसमेकर एक हार्ट ब्लॉक से भी पीड़ित रोगी में प्रत्यारोपित किया गया। हार्ट ब्लॉक की बीमारी में दिल बहुत धीमी गति से धड़कता है, जिसकी वजह से हृदय शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त देने में असमर्थ हो जाता है। इससे चक्कर आना, थकान, सांस फूलना, बेहोशी और कभी-कभी मौत भी हो सकती है। वर्तमान में पेसमेकर इस बीमारी का एकमात्र इलाज है। पेसमेकर दिल की सामान्य लय को बहाल करने और लक्षणों को दूर करने में मदद करते हैं। कैलाश अस्पताल में आयोजित पत्रकार वार्ता में अस्पताल के निदेश पवन शर्मा, डा. राज प्रताप सिंह ने बताया कि मरीज 79 वर्ष के बुजुर्ग के थे जो हार्ट ब्लॉक, एनीमिया, किडनी की बीमारी, पुराना तपेदिक और त्वचा रोग से पीड़ित है। उनको डॉक्टरों द्वारा पेसमेकर प्रत्यारोपण की सलाह दी गई। पेसमेकर प्रत्यारोपण के लिए छाती पर एक चीरा लगाना पड़ता है जिसके बाद फ्लैट और पॉकेट का निर्माण होता है जिसमें माचिस के आकार का पेसमेकर डाला जाता है। या पेसमेकर लगभग 1 फुट लंबे पेंसिंग लीड के जरिए दिल से जुड़ा होता है जो नसों से दिल तक पहुंचते हैं। मरीज को उम्र और बीमारियों के लिहाज से माइक्रा पेसमेकर लगाने की सलाह दी गई। यहां विटामिन कैप्सूल के आकार का उपकरण केवल 0.8 सीसी बड़ा होता है जिसका वजन महज है। दुनिया के इस सबसे छोटे पेसमेकर को कैथेटर द्वारा सीधे हृदय में प्रत्यारोपित किया जा सकता है। यह रोगी के अनुकूल होता है क्योंकि यह कोई निशान नहीं छोड़ता और रोगी इसको लगाने के पहले दिन से ही चल सकता है और अगले दिन छुट्टी दी जा सकती है। डा. राज प्रताप सिंह ने बताया कि यह लीड रहित पेसमेकर उन रोगियों के लिए वरदान है जिन पर पारंपरिक पेसमेकर लगाने के कई प्रयास विफल हो गए थे या उन्हें सारी बाधाओं के कारण प्रत्यारोपित नहीं किया जा सका था। प्रेस वार्ता के दौरान अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आतिश सिन्हा, डा. कुमार गौरव आदि उपस्थित रहे।