जज लोया मौत केस पर कांग्रेस सख्त, कहा- जज के दो करीबियों की भी हुई संदिग्ध मौत
नई दिल्ली: न्यायपालिका में सबसे ऊंचे स्तर पर कलह की वजह बन चुके जज लोया की मौत के मसले पर कांग्रेस अब खुलकर सामने आ गई है. कांग्रेस ने बुधवार को यह मामला नए सिरे से उठाने की कोशिश की. कांग्रेस के चार बड़े नेता और वकीलों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दो लोगों को पेश किया. इनमें से एक केस का पहला याचिकाकर्ता था और दूसरा उसका वकील है. इन दोनों के हवाले से कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि लोया पर दबाव की जानकारी जिन लोगों को थी उनमें से दो की संदिग्ध मौत हो चुकी है. कांग्रेस ने जज लोया की मौत के मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक स्पेशल इनवेस्टिगेटिव टीम से कराने की मांग की.
कांग्रेस ने दावा किया कि सूर्यकांत लोगले लोया की मौत के मामले में पहले याचिकाकर्ता हैं और सतीश उके इस मामले के पैरवीकार थे. कांग्रेस के प्रवक्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि जज लोया ने वकील श्रीकांत खंडालकर और रिटायर्ड जज प्रकाश थोम्ब्रे के ज़रिए सतीश उके से संपर्क किया था. लोया चाहते थे कि सतीश उन लोगों के खिलाफ केस करें जो सोहराबुद्दीन मामले में आरोपी को छोड़ने का दबाव बना रहे थे.
दावे के मुताबिक, सतीश उके की जज लोया के साथ वीडियो कॉल के ज़रिए बातचीत भी हुई. इस बातचीत में जज लोया ने सतीश उके से अपने ऊपर पड़ रहे दबाव की बात की और कहा कि उन्हें एक ड्राफ्ट ऑर्डर की कॉपी दी गई है, जिसके मुताबिक फैसला सुनाने का दबाव है.
कांग्रेस की दलील है कि जिन दो लोगों से लोया ने संपर्क किया उनकी भी संदिग्ध हालात में मौत हो गई. जज लोया की मौत के ठीक एक साल बाद 29 नवंबर, 2015 को वकील श्रीकांत खंडालकर का शव नागपुर के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अहाते से बरामद हुआ. कहा गया कि वो आठवीं मंज़िल से नीचे गिर गए.
कपिल सिब्बल के मुताबिक, जस्टिस लोया ने खुद को मिली ड्राफ्ट ऑर्डर की कॉपी अपने करीबी जानकार और भरोसेमंद जज प्रकाश थोम्ब्रे को दी थी जो तब रिटायर हो चुके थे. लेकिन जज लोया की संदिग्ध मौत के क़रीब डेढ़ साल बाद 16 मई, 2016 को जज थोम्ब्रे की संदिग्ध हालात में ट्रेन में मौत हो गई. थोम्ब्रे उस समय नागपुर से बेंगलुरु जा रहे थे और हैदराबाद के क़रीब उनकी मौत हुई. कांग्रेस का कहना है कि थोम्ब्रेस के पास ड्राफ्ट ऑर्डर की कॉपी थी इसलिए उनकी मौत की भी जांच होनी चाहिए.
कांग्रेस की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक एसआईटी बनाकर इस मामले की जांच कराई जाए. वैसे इस मामले पर पहले ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है. खुद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा कह चुके हैं कि मामला गंभीर है और कोर्ट इससे जुड़े सभी रिकॉर्ड्स को देखेगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चल रहे सभी मामलों की फाइल अपने पास मंगा ली है, लेकिन कांग्रेस का मानना है कि इस मामले में महाराष्ट्र सरकार लीपापोती की कोशिश कर रही है.