लेट तो होती है जापान की बुलेट ट्रेन लेकिन…ऐसी जानकारी जो आप अभी तक नहीं जानते होंगे

नई दिल्ली: दुनिया में कई देश हैं जहां बुलेट ट्रेन दौड़ रही हैं. भारत अभी भी इसमें पीछे है. अब जापान के सहयोग से भारत जमीनी यातायात के इस सबसे तेज साधन का इस्तेमाल करेगा. हाई स्पीड रेल या कहें बुलेट ट्रेन ज्यादातर यूरोपीय देशों में दौड़ रही है. ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, पोलैंड, पुर्तगाल, रूस, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन, ताइवान, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और उजबेकिस्तान में बुलेट ट्रेनें दौड़ रही हैं. केवल यूरोप में ही बुलेट ट्रेन देश की सीमाओं से पार जाती हैं.

दुनिया में 1964 में पहली बार बुलेट ट्रेन धरती पर दौड़ी थी. सबसे पहले जापान ने बुलेट ट्रेन को दौड़ाया और लोगों के प्रयोग में लेकर आई. बुलेट ट्रेन की अमूमन स्पीड 250 किलोमीटर प्रतिघंटा तक हो सकती है और अकसर इसे 200 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से दौड़ाया जाता है.

खास बात है कि भारत का पड़ोसी देश चीन दुनिया में बुलेट ट्रेन का जाल बिछाने में सबसे आगे है. दिसबंर 2016 तक चीन ने 22000 किलोमीटर तक की दूरी के लिए बुलेट ट्रेन का जाल बिछा लिया था. जानकारी के लिए बता दें कि ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के सिलसिले में सबसे आगे जर्मनी हुआ करता था. 23 अक्टूबर 1903 को जर्मनी ने 206.7 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन दौड़ाई थी.

1955 से अब तक के रिकॉर्ड के अनुसार फ्रांस ने सबसे तेज रफ्तार से बुलेट ट्रेन को दौड़ाने का रिकॉर्ड बनाया है. 2007 में फ्रांस ने 574.8 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से बुलेट ट्रेन दौड़ाई थी.  21 अप्रैल 2015 में नॉन पैसेंजर ट्रेन को 603 किलोमीटर प्रतिघंटा के रफ्तार से दौड़ाया गया है.

जापान में भी बुलेट ट्रेन में होती है देरी लेकिन…
जापान में बुलेट ट्रेन के परिचालन में 0.6 मिनट की देरी एवरेज है. लेकिन यहां तक तो ठीक है. अगर ट्रेन के परिचालन में पांच मिनट की देरी हो जाती है तो उसे डिले सर्टिफिकेट दिया जाता है. यह तब भी हो जाता है रेल परिचालन में लगे लोगों और कंपनियों के बस के बाहर के कारण भी होते हैं. जैसे खराब मौसम, जिसमें कोहरा, बारिश आदि भी शामिल हैं. देरी होने पर ट्रेन के यात्रियों को भी प्रिंट आउट के जरिए ट्रेन के लेट होने का सर्टिफिकेट दिया जाता है जिसे यात्री अपने कार्यालय या फिर बैंक स्कूल आदि जगहों पर दिखा सकते हैं. आजकल कई कंपनियां अपनी वेबसाइट पर इससे जुड़ी जानकारी डालती हैं जो हफ्तों वहां पर बनी रहती है.

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