भारतीय रेल ने संयुक्त अनुसंधान के लिए आईआईटी रुड़की के साथ अपने एमओयू को आगे बढ़ाया
रुड़की,। भारतीय रेल ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की के साथ ही आईआईटी कानपुर और आईआईटी मद्रास के साथ अनुसंधान के क्षेत्र में अपने सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक एमओयू को नया रूप दिया है। भारतीय रेल के लिए इस एमओयू का उद्देश्य शिक्षा और उद्योग जगत के डोमेन नॉलेज और विशेषज्ञता का लाभ लेने में तेजी लाना है, ताकि भारतीय रेल नेटवर्क के लिए नई तकनीकों और अप्लीकेशन के विकास के लिए आवश्यक अनुसंधान को सही दिशा मिल सके। एमओयू रेल मंत्रालय द्वारा कोर और मौलिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अनुमोदित सेंटर फॉर रेलवे रिसर्च (सीआरआर) के माध्यम से ट्रैक, ब्रिज और स्ट्रक्चर्स, हाई-स्पीड रेल के लिए सिविल इन्फ्रास्ट्रक्चर, ब्रिज, स्ट्रक्चर्स और हेल्थ मॉनिटरिंग, ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम, रेलवे एसेट्स की रिमोट मॉनिटरिंग सहित अन्य क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देगा।सुश्री अलका अरोड़ा मिश्रा, प्रधान कार्यकारी निदेशक (टी एंड एमपीपी), रेल मंत्रालय और मनीष श्रीखंडे, डीन, रिसर्च एंड इंडस्ट्रियल कंसल्टेंसी, आईआईटी रुड़की ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ, निदेशक (एचआर), पीईडी (टी एंड एमपीपी), श्री विनोद कुमार यादव की उपस्थिति में एमओयू पर हस्ताक्षर किया। इस दौरान श्री वशिष्ठ जौहरी, महाप्रबंधक, दक्षिण रेलवे, प्रो. अजीत के. चतुर्वेदी, निदेशक, आईआईटी रुड़की, प्रो. मनोरंजन परीदा, उप-निदेशक, आईआईटी रुड़की, प्रो. योगेंद्र सिंह, आईआईटी रुड़की, प्रो. सतीश शर्मा, आईआईटी रुड़की, प्रो. भास्कर राममूर्ति, निदेशक, आईआईटी मद्रास, प्रो. रविंद्र गेट्टू, आईआईटी मद्रास, प्रो. अभय करंदीकर, निदेशक, आईआईटी कानपुर भी उपस्थित रहे।“भारतीय रेल की संगठनात्मक संरचना में बड़े बदलाव हुए हैं, जिसके तहत प्रबंधन, अनुसंधान और विकास संवर्गों को अलग किया गया है। अनुसंधान और विकास हमारी प्राथमिकता है, और यह तभी सफल हो सकता है जब यह मूल या जमीनी स्थिति के साथ पूरी तरह से जुड़ा हुआ हो। हम अत्याधुनिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए लंबे समय तक चलने वाली साझेदारी की आशा करते हैं, जो भारतीय रेल के परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करेगी। आगे हमने आरडीएसओ को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ईसरो) के तर्ज पर पुनर्गठित करने की योजना बनाई है” श्री विनोद कुमार यादव, अध्यक्ष और सीईओ, रेलवे बोर्ड, ने कहा।“भारतीय रेल की प्रमुख तकनीकी समस्याओं को हल करने में आईआईटी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। न्यूनतम ऊर्जा अपव्यय, धूल का कम-से-कम जमाव, और न्यूनतम कंपन के साथ-साथ संचालन के प्रबंधन में रिमोट मॉनिटरिंग जैसी तकनीकी प्रगति के माध्यम से रोलिंग स्टॉक की दक्षता सुनिश्चित करना हमारी प्रमुख चुनौतियों में है। मुझे विश्वास है कि भारतीय रेल की आकांक्षाओं को पूरा करने में इस एमओयू की महत्वपूर्ण भूमिका होगी” श्री राजेश तिवारी, ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी ( सुरक्षा), ने कहा। श्री तिवारी पूर्व में ट्रैक्शन, भारतीय रेल के सदस्य रहे हैं।यह एमओयू उद्योग जगत (स्टार्टअप, एसएमई, एमएसएमई, आदि) के साथ मिलकर अनुसंधान के लिए मल्टी-डिस्कीप्लिनरी दृष्टिकोण की परिकल्पना करता है, जहां मुख्य फोकस टेक्नोलॉजी रेडीनेस लेवल के प्रोटोटाइप की समयबद्ध डिलीवरी होगी। रेल मंत्रालय और आरडीएसओ आवश्यक तकनीकी जानकारी के साथ ही भारतीय रेल के पास उपलब्ध फील्ड डेटा सहित वांच्छित एप्लिकेशन के आधार पर सिस्टम की आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
“इस कार्यक्रम के आयोजन और हमारे सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए मैं रेलवे बोर्ड के सीईओ और अध्यक्ष श्री यादव को धन्यवाद कहना चाहूंगा। हम भारतीय रेल के साथ अपनी साझेदारी को अत्यधिक महत्व देते हैं। हमने भारतीय रेल के अनुसंधान संबन्धित गतिविधियों के लिए सेंटर फॉर रेलवे रिसर्च (सीआरआर) को विशेष स्थान प्रदान किया है। आईआईटी रुड़की की विशेषज्ञता का उपयोग वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों के लिए मास्टर्स स्तर के प्रशिक्षण के लिए भी किया जा सकता है, जो इस समझौता ज्ञापन के उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करेगा” प्रो. अजीत के. चतुर्वेदी, निदेशक- आईआईटी रुड़की, ने कहा।
एमओयू शीर्ष संचालन समिति के गठन का प्रस्ताव रखता है, जिसमें दोनों संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों, संकाय सदस्यों और विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। इसकी अध्यक्षता आरडीएसओ के महानिदेशक और सह-अध्यक्षता आईआईटी रुड़की के निदेशक करेंगे। एक कार्यक्रम सलाहकार समिति (पीएसी) भी स्थापित की जाएगी जिसमें भारतीय रेल के अधिकारी और आईआईटी रुड़की के संकाय सदस्य होंगे। इसकी अध्यक्ष आरडीएसओ के एडीजी और सह-अध्यक्ष डीन (एसआरआईसी), आईआईटी रुड़की होंगे। पीएसी इस एमओयू के तहत किए जा रहे सभी अनुसंधान एवं विकास संबंधी गतिविधियों का प्रबंधन, निगरानी और पर्यवेक्षण करेगा। एमओयू में प्रस्तावित सभी कार्यों को समय पर पूरा करने के लिए एक डिवीजनल रेलवे मैनेजर, मुरादाबाद को भी पीएसी में शामिल किया जाएगा। अनुसंधान और विकास परियोजनाओं में हुई प्रगति की समीक्षा करने के लिए दोनों संस्थानों द्वारा समय-समय पर निगरानी भी इस एमओयू का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सेंटर फॉर रेलवे रिसर्च को रेल कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए सशक्त करता है, जहां यह आईआईटी रुड़की द्वारा प्रायोजित अनुसंधान एवेन्यू के माध्यम से रेल से संबंधित अनुसंधान के क्षेत्रों में डिग्री कार्यक्रमों, स्नातकोत्तर कार्यक्रमों और पीएच.डी. कार्यक्रमों को अपना सकता है।इसमें सीआरआर, आईआईटी रुड़की की अनुसंधान परियोजनाएं और डिज़ाइन भी शामिल होंगी, और यह आपसी सहमति से रेल प्रौद्योगिकी से संबंधित उपयुक्त पाठ्यक्रम और ऐच्छिक विषयों को चुनने की सुविधा प्रदान करेगी।भारतीय रेल और आईआईटी कानपुर के साथ-साथ भारतीय रेल और आईआईटी मद्रास के बीच भी एमओयू का नवीनीकरण किया गया। अलका अरोड़ा मिश्रा, प्रधान कार्यकारी निदेशक (टी एंड एमपीपी) ने रेल मंत्रालय की ओर तथा ए. आर. हरीश, डीन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, आईआईटी कानपुर ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। अलका अरोड़ा मिश्रा और रवींद्र गेट्टू, डीन, इंडस्ट्रियल कंसल्टेंसी एंड स्पॉन्सर्ड रिसर्च, आईआईटी मद्रास ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए।भारतीय रेल दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक है, जो प्रति वर्ष 8.397 बिलियन यात्रियों को यातायात की सुविधा प्रदान करता है और 1000 मिलियन टन से अधिक माल को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाता है। यह ट्रैक इन्फ्रास्ट्रक्चर, पुल, रोलिंग स्टॉक और सिग्नलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सहित अपनी परिसंपत्तियों के आधुनिकीकरण और उन्नयन के रूप में एक बड़े तकनीकी परिवर्तन से गुजर रहा है। यह कंडीशन मॉनिटरिंग, प्रीडिक्टिव मेन्टेनेन्स सिस्टम्स, डेटा एनालिटिक्स, और अन्य क्षेत्र में नई तकनीकों के विकास पर भी काम कर रहा है। रेल मंत्रालय द्वारा नेटवर्क के मुख्य मार्गों पर गति-उन्नयन परियोजनाओं को भी मिशन-मोड में लिया जा रहा है।