इस वर्ष दिपावली पर्व पर स्वदेशी उत्पादों की बढ़ी मांग

देहरादून, । एक तो कोरोना काल उपर से चीन से सीमा पर झड़प के चलते इस बार लोगों का रूझान अब स्वदेशी उत्पादों की ओर देखने को मिल रहा है। प्रकाश का पर्व दीपावली नजदीक है। इस बार लोग विदेशी उत्पादों का बहिष्कार कर स्वदेशी उत्पादों को तवज्जो दे रहे हैं। स्वदेशी उत्पादों की डिमांड भी काफी बढ़ी है। इसे लेकर हस्त शिल्पकारों के चेहरे खिले हुए हैं। साथ ही कारीगर काफी उत्साह के साथ मिट्टी के दीये आदि तैयार करने में जुटे हैं। हस्त शिल्पकारों का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि डिमांड के हिसाब से इस बार उनका कारोबार अच्छा रहेगा। साथ ही कहा कि अब उनके अच्छे दिन आने की उम्मीद बनी हुई है। दीपावली, रोशनी का त्योहार है जिसमें हर कोई अपने घरों को रोशनी से जगमग कर देता है। पहले लोग तेल के दीपकों से अपने घरों में रोशनी करते थे, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया तो बिजली का अविष्कार हुआ। अब इन दीपकों की जगह बिजली की लड़ियों और लैंप आदि ने ले ली है। इसके बावजूद परंपरा के मुताबिक मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल आज भी होता है। लेकिन चायनीज सामानों का इतना बोलबाला हो गया कि लोग मिट्टी की चीजों को कम तवज्जो देने लगे। इससे मिट्टी के कारोबार से जुड़े लोगों के आगे दो जून की रोटी के भी लाले पड़ने लगे। कई लोग तो इस व्यवसाय को छोड़कर दूसरे काम शुरू कर चुके है। वहीं, भारत-चीन के बीच गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद लोगों ने चायनीज सामानों का बहिष्कार शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं लोग अब चीनी सामान का पूरी तरह से बायकॉट कर रहे हैं और स्वदेशी अपना रहे हैं। लक्सर में लोग जमकर मिट्टी के दीये आदि खरीद रहे हैं। इसे लेकर मिट्टी के कारीगरों के चेहरों पर रौनक है। हस्त शिल्पकारों का कहना है कि चायनीज सामान ने उनका मिट्टी का कारोबार लगभग ठप करवा दिया था। लेकिन जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी अपनाओ का नारा दिया है। तब से लोग काफी जागरूक हुए हैं और हर जगह चायनीज सामान का विरोध कर रहे हैं।

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