एम्स ऋषिकेश में नवजात शिशु वार्ड का उद्घाटन
ऋषिकेश। आज एम्स ऋषिकेश में एकीकृत स्तन उपचार केंद्र तथा नवजात शिशु वार्ड का उद्घाटन एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत के हाथों हुआ । उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में नवजात शिशु की मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत दर से ज्यादा है, इसका कारण यहां नवजात शिशुओं के इलाज की सुविधा की कमी है । साथ ही उत्तराखंड तथा पश्चिम उत्तर प्रदेश में स्तन कैंसर के मामले काफी सामने आए हैं । इनमें से अधिकांश एडवांस स्टेज पर डॉक्टर के पास पहुंचते हैं जिससे मरीज की जान बचाना कठिन होता है । अतः एम्स ऋषिकेश ने इस दिशा में पहल करते हुए अस्पताल के बी ब्लॉक की तल मंजिल पर एक एकीकृत स्तन उपचार केंद्र की शुरुआत की है । इसमें स्तन कैंसर की जांच तथा सर्जरी के बाद दी जाने वाली सभी सुविधाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध होंगी । जांच में मैमोग्राफी ,अल्ट्रा सोनोग्राफी, बायोप्सी, रिसेप्टर स्टडीज और एम आर आई जैसी सुविधाएं तथा इनकी बिलिंग की सुविधा भी एक ही स्थान पर उपलब्ध होगी । यह केंद्र वरिष्ठ सर्जन प्रोफेसर बीना रवि संचालित करेंगी। उन्होंने बताया की स्तन कैंसर से संबंधित सभी जांचें उसी दिन की जानी चाहिए। नैदानिक परीक्षा के बाद सर्जरी की सुविधा भी एम्स में उपलब्ध है तथा सर्जरी के बाद कीमोथैरेपी और रेडिएशन रेडिएशन की सुविधा भी मरीजों को यहां उपलब्ध होने से मरीजो को विभिन्न अस्पतालों के चक्कर नही लगाने पड़ेगे। सोमवार तथा बुधवार को चलने वाले इस क्लीनिक में सप्ताह में तीन ऑपरेटिंग रूम उपलब्ध होंगे। एम्स में उपलब्ध इस सुविधा से 20 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएं लाभान्वित होंगी। एम्स ऋषिकेश अपने जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत समय-समय पर ब्रेस्ट कैंसर पर अवेयरनेस कार्यक्रम भी चला रहा है। सही समय पर पहचान एवं उपचार होने पर ब्रैस्ट कैंसर पूर्ण रूप से ठीक हो सकता है। प्रो बीना रवि ने बताया।नवजात शिशु वार्ड की विशेषता इसकी दीवारों पर अंकित बच्चों के मनपसंद चरित्रों की रंगबिरंगी चित्रकारी है। जो यहां के माहौल को अस्पताल से भिन्न बनाती है।
कार्यक्रम में चिकित्सा अधीक्षक डॉ ब्रह्म प्रकाश, प्रोफेसर मनोज गुप्ता, डीन प्रो सुरेखा किशोर, नवजात शिशु विभागाध्यक्ष डॉ सुपर्णा बसु Pतथा अन्य चिकित्सक एवं अधिकारी मौजूद थे।