माँ के बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरीः स्वामी चिदानन्द
ऋषिकेश,। भारत में तो भारत का अस्तित्व ही माँ से है। आज सभी मातृ दिवस की शुभकामनायें दे रहे हैं परन्तु कोई बताये कि कौन सा वह दिन है जो माँ के बिन है। मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव, सबसे पहले माँ का ही तो नाम आता है, माँ है तो जान है, माँ है तो जहान है। भारत में तो हर दिन माँ का है, हर दिल माँ का है। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि 9 मई को मातृ दिवस मनाने की परम्परा पश्चिमी देशों की है, भारत में तो हर दिन और हर पल माँ को समर्पित है। माँ है तो हम हैय माँ है तो दिन है, माँ नहीं तो रात है। आज का ही दिन नहीं बल्कि हमारी हर श्वास माँ को समर्पित हो क्योंकि माँ जैसा दुनिया में कुछ हो ही नहीं सकता। माँ का सम्मान ही संकटों का समाधान है।एक दिन ‘मदर्स डे’ मनाना यह पश्चिमी सभ्यता है, जो मनाते है मनायें पर भारत के लिये तो हर दिन माँ के नाम हैं। फिर भी यदि आज मातृ दिवस मना ही रहे हैं तो इतना जरूर करें कि माँ, मातृ भूमि और धरती माता (मदर नेचर) तीनों के लिये संकल्प करें। माँ का सम्मान इस प्रकार करें कि हमारे देश में अब कोई और वृद्धाश्रम न खुलने पायें अर्थात उन्हें सम्मान से अपने साथ अपने घर पर ही रखें। दूसरी बात इस कोरोना काल में हमारी मातृभूमि को भी हम सभी की जरूरत है, सभी मिलकर कोरोना से करूणा की ओर बढ़ें और सभी की सहायता के लिये अपने हाथ आगे बढ़ायें। मदर नेचर, प्रकृति माता जिनका उपहास करने की वजह से आज ही हमें ये दिन देखने पड़ रहे हैं। पवित्र ग्रंथ वेद में कहा गया है ‘‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’’ धरती हमारी माता है और हम उसकी सन्तान है। धरती माता हमारे जीवन के अस्तित्व का एक प्रमुख आधार है, हमारा भरण-पोषण करती है। ऋग्वेद में कहा गया है ‘‘उप सर्प मातरं भूमि’’ हे मनुष्यों मातृभूमि की सेवा करोय अपने राष्ट्र से प्रेम करो और राष्ट्र के प्रति निष्ठा, श्रद्धा व प्रेमभाव बनाये रखो। स्वामी जी ने कहा कि मातृभूति और धरती माता के प्रति भी हम सभी के सामूहिक कर्तव्य भी हैं उसे भी निभायें। आज मातृ दिवस के अवसर पर मातृभूमि को भी बचाने तथा अपनी धरती माता को पुनः हरा भरा करने का संकल्प लें।