आईआईटी रुड़की ने राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान के सहयोग से आयोजित किया विश्व जल दिवस
- इस अवसर पर ‘वॉटर रियूज: ए वाइटल स्टेप टूवार्ड्स वॉटर वैल्यू’ नामक पब्लिकेशन का भी हुआ विमोचन
रुड़की, । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान (एनआईएच) के सहयोग से विश्व जल दिवस मनाया, जिसमें प्रतिनिधियों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई। इस कार्यक्रम का आयोजन आईआईटी रुड़की के हाइड्रो एंड रिन्यूएबल एनर्जी (एचआरईडी) विभाग ने हाइब्रिड मोड में किया, जिसमें संस्थान के फ़ैकल्टी और एनआईएच के वैज्ञानिक समेत 40 ऑफ़लाइन प्रतिभागियों और 60 से अधिक ऑनलाइन प्रतिभागियों की मौजूदगी रही। ‘वैल्यूइंग वाटर’ थीम पर आयोजित इस कार्यक्रम में, एचआरईडी विभाग के सुश्री कीर्ति गोयल और प्रोफेसर अरुण कुमार द्वारा लिखित ‘वॉटर रियूज: ए वाइटल स्टेप टूवार्ड्स वॉटर वैल्यू’ नामक एचआरईडी पब्लिकेशन का भी विमोचन हुआ। 60 मिनट तक चले इस कार्यक्रम से आईआईटी रुड़की और एनआईएच के निदेशकों के साथ-साथ आईआईटी और एनआईएच के विभिन्न विभागों के कई फ़ैकल्टी, वैज्ञानिक, कर्मचारी और छात्र जुड़े रहे।कार्यक्रम का एक और मुख्य आकर्षण, पानी के उचित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए सस्टेनेबल कैचमेंट मैनेजमेंट (एससीएम) पर यूके सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी के वॉटर रिसोर्स हेड डॉ. ग्वेन रीस द्वारा दिया गया संबोधन था। सत्र में स्वछ जल संसाधन के संरक्षण के लिए एससीएम के विभिन्न तरीकों पर चर्चा हुई।अपने संबोधन में यूके सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी के वॉटर रिसोर्स हेड डॉ. ग्वेन रीस ने कहा, “सस्टेनेबल वॉटर ट्रीटमेंट सार्वजनिक जल आपूर्ति के लिए वॉटर ट्रीटमंट कॉस्ट को कम करने, प्रदूषण को कम करने, पानी की उपयोगिता बढ़ाने और जैव विविधता की रक्षा में कई गुना प्रभाव डालता है। इन सभी परिणामों का प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण संतुलन बनाए रखने और नेचुरल कैपिटल अकाउंटिंग में आर्थिक और सामाजिक लाभ हैं।“डॉ. ग्वेन रीस एक सीनियर रिसर्च मैनेजर हैं, जिनके पास कम जल प्रवाह, सूखा, जल संसाधन और जलवायु परिवर्तन प्रभावों में विशेषज्ञता के साथ आप्लाइड हाइड्रोलॉजी में 30 वर्षों से अधिक का अनुभव है। एनआईएच और आईआईटी-रुड़की के साथ उनका कलैबरेशन वर्ष 1995 से शुरू हुआ। ग्वेन अपनी वर्तमान भूमिका में यूकेसीईएच के वॉटर रिसोर्सेज रिसर्च को स्ट्रेटजिक लीडरशिप प्रदान करते हैं, साथ ही करीब 60 प्रोजेक्ट्स के पोर्टफोलियो का निर्देशन करते हैं और कुछ 70 कर्मचारियों के लिए लाइन प्रबंधन की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। उनके अनुसंधान क्षेत्र में हाइड्रोलॉजिकल डेटा कलेक्शन व मैनेजमेंट, हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग व वॉटर रिसोर्स एसेस्मेंट, ड्राउट मॉनिटरिंग व प्रीडिक्शन, सीजनल फोरकास्टिंग, क्लाइमेट इम्पैक्ट स्टडीज और वॉटर क्वालिटी व फ्रेशवॉटर इकोसिस्टम मॉनिटरिंग, मॉडलिंग व मैनेजमेंट समेत फ्रेशवॉटर साइंस की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। वह साउथ एशिया, साउथ ईस्ट एशिया और उप-सहारा अफ़्रीका पर केंद्रित सीईएच के 13 मिलियन पाउंड वाले पंचवर्षीय “सस्टेनेबल यूज ऑफ नेचुरल रिसोर्सेज टू इम्प्रूव ह्यूमन हेल्थ एंड सपोर्ट इकनॉमिक डेवलपमेंट” (SUNRISE) प्रोग्राम के प्रोग्राम लीड हैं। वह हाल ही में संपन्न न्यूटन-भाभा प्रोजेक्ट “अपस्केलिंग कैचमेंट प्रोसीजर फॉर सस्टेनेबल वॉटर मैनेजमेंट इन पेनिन्सुलर इंडिया” (UPSCALE) के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर थे। विभिन्न जिम्मेदारियां निभाने के साथ-साथ, डॉ. ग्वेन CIWEM वॉटर रिसोर्स पैनल के मेंबर और WMO-GWP इंटीग्रेटेड ड्राउट मैनेजमेंट प्रोग्राम के एडवाइजरी कमिटी मेंबर भी हैं। इस अवसर पर आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, “पानी हमारे ग्रह के लिए एक अनिवार्य संसाधन है। स्वच्छ जल तक पहुंच का अभाव भारत के लिए एक विकट चुनौती है। पानी का समुचित प्रबंधन पर्यावरणीय स्थिरता के लिए अत्यावश्यक है। इस ग्रह को आने वाली पीढ़ियों के लिए रहने योग्य बनाने के लिए एकेडमिक और रिसर्च इंस्टीट्यूशन को गहन शोध करना चाहिए।“डॉ. सुधीर कुमार ने जलविज्ञान और जल के क्षेत्रों में एनआईएच के योगदान को विस्तार से बताया। इसके बाद आईआईटी रुड़की के जलविज्ञान विभाग के प्रमुख प्रो. एमके जैन, जल संसाधन विकास और प्रबंधन (डबल्यूडीएम) के प्रमुख प्रो. आशीष पांडे, आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. जेड. अहमद, आईआईटी रुड़की के डिजाइन इनोवेशन सेंटर के प्रो. एसके. मौर्या और एचआरईडी के प्रमुख प्रो. एसके सिंगल ने जल से संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियां और संबंधित विभागों की पहल के बारे में बताया।कार्यक्रम का संचालन प्रो. एसके सिंगल के दिशा-निर्देशन में एचआरईडी की प्रो. सोनल के. थेंगाने ने किया।स्वछ जल के महत्व पर केंद्रित विश्व जल दिवस वर्ष 1993 से हर साल 22 मार्च को आयोजित किया जाता है। विश्व जल दिवस का उद्देश्य जल के महत्व को उजागर करना, जागरूकता बढ़ाना और जल दक्षता और संरक्षण पर सकारात्मक कार्रवाई करना है। वर्तमान में, लगभग 2.2 बिलियन लोग स्वछ पानी तक पहुंच के बिना जीने को मजबूर हैं। यह वैश्विक जल संकट से निपटने की तैयारी से संबद्ध है। विश्व जल दिवस का मुख्य उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्य-6 (वर्ष 2030 तक सभी के लिये पानी और स्वच्छता) को प्राप्त करने के लिये समर्थन प्रदान करना है।