आईआईटी मद्रास के पूर्व विद्यार्थियों का भारत में कोविड राहत कार्यों के लिए 2 मिलियन डाॅलर का योगदान

चेन्नई, । भारत और विदेशों में कार्यरत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास के पूर्व विद्यार्थियों ने भारत में कोविड राहत कार्यों के लिए 2 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की आर्थिक सहायता दी है। राहत बांटने का काम उनका पूर्व संस्थान आईआईटी मद्रास कर रहा है। संस्थान चरणबद्ध कार्य करते हुए इस प्रयास का अधिक से अधिक लाभ सुनिश्चित करेगा। आर्थिक सहायता जुटाने का समन्वयन ईआईटी मद्रास का पूर्व विद्यार्थी एवं कॉर्पोरेट संबंध कार्यालय (एसीआर) ने किया है जिसमें आईआईटी मद्रास पूर्व विद्यार्थी संघ (उत्तरी अमेरिका) और आईआईटीएम फाउंडेशन (अमेरिका) का बड़ा सहयोग रहा है। आईआईटी-एम एलुमनी चैरिटेबल ट्रस्ट ने स्थानीय सरकार के सहयोग से इन यूनिटों के संचालन और समय से लगाने का कार्य सुनिश्चित किया है।आईआईटी मद्रास के पूर्व विद्यार्थियों के इन प्रयासों पर विस्तार से जानकारी देते हुए सिलिकॉन वैली स्थित वेंचर कैपिटल फर्म रॉकेटशिप वीसी और आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र आनंद राजारमन ने कहा, ‘‘इस कठिन दौर में देश के साथ खड़ा होना और मदद पहंुचाना प्रवासी भारतीयों का कर्तव्य है। मैं चेन्नई का होने के नाते आईआईटी मद्रास के पूर्व विद्यार्थी नेटवर्क का आभारी हूं और मुझे गर्व है कि इस कठिनतम दौर में हम ने चेन्नई और तमिलनाडु की मदद की मुहिम बना कर चिकित्सा उपकरणों और अन्य सामानों की भारी मांग की आपूर्ति की और हजारों लोगों की जान बचाने का प्रयास किया। आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. भास्कर राममूर्ति ने कथित आर्थिक सहायता से खरीदे गए 200 से अधिक आॅक्सीजन कंसंट्रेटर (प्रत्येक की क्षमता 10 लीटर) 3 जून 2021 को चेन्नई कॉरपोरेशन के आयुक्त श्री गगनदीप सिंह बेदी (आईएएस) को प्रदान किए। इस अवसर पर उपस्थिति थे तमिलनाडु सरकार के प्रधान सचिव श्री एमए सिद्दीकी (आईएएस) और तमिलनाडु सरकार के उपायुक्त (कार्य) श्री मेघनाथ रेड्डी (आईएएस), आईआईटी मद्रास के डीन (एसीआर) प्रो महेश पंचगनुला, आईआईटी-एम एलुमनी चैरिटेबल ट्रस्ट की सचिव श्रीमती एन अलामेलु, आईआईटी मद्रास के सीईओ (विकास कार्यालय) श्री कविराज नायर और अन्य।इसके अतिरिक्त आईआईटी मद्रास के रजिस्ट्रार डॉ. जेन प्रसाद ने हाल ही में चेन्नई कॉर्पोरेशन के अधिकारियों को 74 बाइपैप यूनिट प्रदान किए। आईआईटी मद्रास के पूर्व विद्यार्थियों ने तेलंगाना सरकार को भी 200 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर (प्रत्येक की क्षमता 5 लीटर) का योगदान दिया है। इन प्रयासों पर श्री कमल दुग्गीराला, चेयरमैन, आईआईटीएम फाउंडेशन-यूएस ने कहा, ‘‘आईआईटी मद्रास के साथी पूर्व विद्यार्थियों के साथ मिल कर इस अभियान में योगदान देना अभूतपूर्व अनुभव रहा है। उपकरणों की खरीद, इसके लिए आर्थिक सहायता जुटाने और समय से उपकरण प्रदान करने में बहुत से लोगों ने सक्रिय भूमिका निभाई। यह जानकर खुशी हो रही है कि इस कठिनतम समय में हम भारत के जन-जीवन में कुछ बदलाव ला सकते हैं।’’आईआईटी मद्रास एलुमनी चैरिटेबल ट्रस्ट, चेन्नई की सचिव श्रीमती एन. अलामेलु ने कहा, ‘‘इस योगदान के माध्यम से आईआईटी मद्रास के पूर्व विद्यार्थी यह जाहिर करते हैं कि ‘‘भले ही शरीर से संस्थान से दूर हैं पर मन से सदैव जुड़े हैं और सहयोग देते रहेंगे। हम हमेशा आपके साथ हैं।’’आईआईटी मद्रास के बहुत-से पूर्व विद्यार्थी कई प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी हैं जो खुद राहत की पूरी प्रक्रिया में सक्रिय रहे हैं और विभिन्न चरणों में उचित विकल्पों के बारे में अंतिम रूप से निर्णय ले रहे हैं। आईआईटी मद्रास आने वाले महीनों में भी कोविड राहत कार्यों में जुटा रहेगा क्योंकि संस्थान के लिए सामाजिक कार्यों की प्रतिबद्धता हमेशा से सर्वोपरि रही है।प्रोफेसर महेश पंचग्नुला, डीन (पूर्व विद्यार्थी एवं कॉर्पोरेट संबंध), आईआईटी मद्रास ने कहा, “महामारी से उत्पन्न चिकित्सा मांग पूरी करने में हमारे पूर्व विद्यार्थियों ने तत्परता दिखाई है और उनका प्रयास जोरदार रहा है। इस सहायता के लिए सदैव आभारी रहेंगे।’’इस सिलसिले में सुश्री रेखा रंगनाथन, आईआईटी मद्रास की पूर्व छात्रा (बीटेक, ’93 बैच) ने कहा, “चेन्नई मेरा घर है। मरीजों और मेरे दोस्तों की कोविड समस्याओं का पता चला तो मेरे अंतर्मन ने मदद करने को कहा। इस मकसद से आईआईटी फाउंडेशन और ‘माना’ एकजुट हुए। मैंने यथासंभव संसाधन और परिश्रम का योगदान दिया।’’श्री कविराज नायर, सीईओ (विकास कार्यालय), आईआईटी मद्रास ने कहा, ‘‘हम ने देखा मुसीबत में हमारे सारे पूर्व विद्यार्थी एकजुट हो गए और कोविड राहत कार्य में दिल खोल के योगदान दिया। आईआईटी-एम अलुमनी ने एक बार फिर सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति हमारी सजगता और मुसीबत में राष्ट्र की मदद करने की प्रबल इच्छा शक्ति का प्रमाण दिया है।’’इन प्रयासों के अतिरिक्त आईआईटी मद्रास ने कोविड राहत कोष बनाया है जो महामारी के समय इलाज के संकट से जूझ रहे विद्यार्थियों और शिक्षकों की सहायता के लिए है। आईआईटी मद्रास ने पिछले वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष ’21) 96 लाख रु. जुटाए ताकि आईआईटी मद्रास के विद्यार्थियों और कर्मचारियों के लिए आवश्यक कोविड राहत सुनिश्चित हो।लॉकडाउन खत्म होने और महामारी का खतरा कम होने पर विद्यार्थियों के लिए कैम्पस खुलने की स्थिति में यदि आपातकालीन आवश्यकता होती है तो उसे पूरा करने के लिए बुनियादी चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने का स्पष्ट प्रस्ताव भी सामने आया है।  कोविड-19 महामारी के खिलाफ देश के मोर्चे पर आईआईटी मद्रास द्वारा इनक्यूबेट किए गए स्टार्टअप भी आगे रहे हैं। आईआईटी मद्रास के पूर्व विद्यार्थियों द्वारा 2018 में स्थापित और आईआईटी मद्रास इनक्यूबेशन सेल द्वारा इनक्यूबेट किए गए मॉड्यूलस हाउसिंग ने एक पोर्टेबल अस्पताल विकसित की है जो चंद घंटों में कहीं भी स्थापित किया जा सकता है। ‘मेडिकेब’ नामक इस पहल का मकसद पोर्टेबल माइक्रोस्ट्रक्चर बना कर स्थानीय समुदायों में कोविड-19 के मरीजों का पता लगाने, उनकी जांच, पहचान करने, अलग रखने और उनके इलाज की व्यवस्था का विकेन्द्रीकृत दृष्टिकोण अपनाना है। मेडिकेब इससे पहले ही वायनाड, केरल सहित अन्य स्थानों पर विभिन्न क्षेत्रों में लगाए गए हैं।

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