धामी नहीं तो कौन ?
देहरादून, । अपने युवा नेतृत्व के नाम पर चुनाव मैदान में उतरी भाजपा भले ही 47 सीटों पर जीत के साथ फिर सत्ता हासिल करने में सफल रही हो लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की हार के बाद उनको मुख्यमंत्री बनाए जाने के मुद्दे पर पेंच फंस गया है। राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा इस पर फैसले के लिए अब केंद्र से दो पर्यवेक्षकों को भेजा गया है जो सभी विजयी विधायकों से उनकी राय लेंगे जिसके आधार पर भाजपा हाईकमान द्वारा तय किया जाएगा कि राज्य की नई सरकार का नेतृत्व कौन करेगा?भले ही चुनाव से पूर्व यह माना जा रहा था कि जब चुनाव मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में लड़ा जा रहा है तो वही भाजपा की सरकार बनने पर फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेंगे। लेकिन इस चुनाव में 47 सीटों पर जीत के साथ भाजपा के प्रचंड बहुमत से सत्ता में आने का रास्ता तो साफ हो गया मगर धामी के भारी मतातंर से चुनाव हार जाने के कारण सीएम की कुर्सी का मामला उलझ चुका है।केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और पीयूष गोयल को अब भाजपा हाईकमान द्वारा उत्तराखंड भेजा जा रहा है जो जीते हुए विधायकों से विधायक दल के नेता के चुनाव पर उनकी अलग-अलग राय जानेंगे। विधायकों की इस राय के आधार पर ही हाईकमान द्वारा सरकार के निर्णय पर फैसला लिया जाएगा। धामी के चुनाव हारने के बाद विधायकों में इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो चुकी है। कई विधायक जहां धामी को ही मुख्यमंत्री बनाए जाने की राय रखते हैं क्योंकि भाजपा ने उन्हीं के चेहरे पर चुनाव लड़ा और जीता है जबकि कुछ विधायक जीते हुए विधायकों में से ही किसी को मुख्यमंत्री बनाने की राय रखते हैं। यही नहीं धामी की हार के बाद डॉ धन सिंह रावत, सांसद अनिल बलूनी व पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक तथा सतपाल महाराज सहित कई अन्य नाम भी चर्चाओं के केंद्र में हैं। हालांकि यहां यह भी उल्लेखनीय है कि चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने अपनी चुनावी जनसभाओं में धामी के नेतृत्व में फिर भाजपा की सरकार बनाने की अपील कर धामी को ही मुख्यमंत्री बनाए जाने के संकेत दिए थे। लेकिन 47 सीटों पर जीत और प्रचंड बहुमत मिलने के बाद धामी को सीएम बनाने और एक सीट खाली कराने और फिर चुनाव लड़ाने की कवायद से भाजपा बचना चाहती है। देखना है कि भाजपा हाईकमान अब ऐसी स्थिति में धामी को ही सीएम बनाती हैं या कोई नया चेहरा सीएम की कुर्सी पर नजर आएगा।