भारत चीन सीमा पर भूस्खलन का आइबी ने दिया था इनपुट
देहरादून : उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा पर भूस्खलन की सूचना इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) से शासन को मिली। फिर इसे लेकर तंत्र सक्रिय हुआ और सभी जिलों के डीएम को अलर्ट कर दिया गया। शासन के मुताबिक भूस्खलन गोमुख के नजदीक हुआ है। इसकी पुष्टि के लिए उत्तरकाशी से 12 सदस्यीय दल गोमुख के लिए रवाना कर दिया गया।
हालांकि, हेलीकॉप्टर से भी रेकी की जानी थी, लेकिन खराब मौसम के कारण ऐसा नहीं हो पाया। मौसम साफ होने के बाद हेलीकॉप्टर उड़ान भरेंगे। इसके बाद ही सही तस्वीर सामने आ पाएगी। यही नहीं, गंगा के जल प्रवाह पर भी लगातार नजर रखी जा रही है।
शासन में सोमवार शाम अचानक हलचल मची और आनन-फानन सभी जिलाधिकारियों को अलर्ट करने के साथ ही उत्तरकाशी और टिहरी को खास सतर्कता के निर्देश दिए गए। शासन में दिख रही सक्रियता के बावजूद आधिकारिक तौर पर इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया।
अलबत्ता, सूत्रों से बात छनकर आई कि शासन को गंगोत्री और गोमुख के बीच की सेटेलाइट इमेज मिली है, जिसमें जमीन दरकी नजर आ रही है। भूस्खलन से गंगा में झील बनने की आशंका भी व्यक्त की गई।
शासन-प्रशासन की ओर से हेली कंपनियों से भी संपर्क साधा गया।
सचिव आपदा प्रबंधन अमित नेगी ने मंगलवार को साफ किया कि चीन सीमा पर भूस्खलन की सूचना आइबी से मिली। यह भूस्खलन गोमुख के आसपास हुआ है। उन्होंने बताया कि सही स्थिति जानने के मद्देनजर सोमवार को हेलीकॉप्टर से रेकी की जानी थी, लेकिन खराब मौसम इसमें बाधा बन गया।
अलबत्ता, उत्तरकाशी से टीम रवाना कर दी गई है। उन्होंने कहा कि शासन पूरी स्थिति पर निगाह बनाए हुए है और मौसम साफ रहा तो बुधवार तक कुछ-कुछ तस्वीर साफ हो जाएगी।
उधर, उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि शासन के अलर्ट के तत्काल बाद बीती सोमवार रात ही 12 सदस्यीय टीम गठित करने के साथ ही मंगलवार सुबह उसे रवाना भी कर दिया गया। यह टीम गोमुख और आसपास के इलाकों का जायजा लेने के बाद लौटेगी।
उन्होंने कहा कि गोमुख अथवा नेलांग क्षेत्र में हिमस्खलन सामान्य घटना है, लेकिन आशंका यह भी है भूस्खलन से भागीरथी अथवा किसी छोटी पहाड़ी नदी में झील भी बन सकती है। इसके अलावा आइटीबीपी से भी उत्तरकाशी से 140 किलोमीटर दूर सीमा पर स्थित नेलांग घाटी में निरीक्षण करने को कहा गया है। एक-दो दिन में उनकी भी रिपोर्ट मिल जाएगी।
आपदा का सबक
चीन सीमा पर भूस्खलन की सूचना पर तंत्र ने तुरंत सक्रियता दिखाई है तो इसके आलोक में जून 2013 की केदारनाथ त्रासदी भी रही। असल में, तब सूचना के अभाव में तत्काल कदम नहीं उठाए जा सके थे। अलबत्ता, अब सरकार अलर्ट मोड में दिखाई दे रही है, जिसे शुभ संकेत माना जा सकता है।